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Congress का सौदा हुआ था? निशिकांत दुबे ने फोड़ा विदेशी फंडिंग का 'पटाखा'!

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर सोवियत रूस और CIA/KGB से फंडिंग का सनसनीखेज आरोप लगाया। 150 सांसदों को विदेशी पैसा मिलने का दावा, देश के इतिहास पर सवाल। क्या कांग्रेस ने देश बेचा? जानें पूरा मामला!

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Ajit Kumar Pandey
निशिकांत दुबे Nishikant Dubey

Congress का सौदा हुआ था? निशिकांत दुबे ने फोड़ा विदेशी फंडिंग का 'पटाखा'! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि दिवंगत कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 कांग्रेसी सांसदों को सोवियत रूस से फंडिंग मिली। दुबे ने CIA और KGB की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि 2014 तक देश की सरकार विदेशी एजेंसियों के इशारे पर चल रही थी। यह खुलासा भारतीय राजनीति में भूचाल ला सकता है।

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राजधानी दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर बड़ा आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर किए अपने दावों को दोहराते हुए कांग्रेस पार्टी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, कांग्रेस का एक बड़ा हिस्सा सोवियत रूस और अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा वित्त पोषित था। ये आरोप इतने बड़े हैं कि अगर इनमें सच्चाई है तो भारतीय राजनीति का पूरा चेहरा बदल सकता है। आखिर क्या है पूरा मामला?

दुबे ने अपनी बात में सीआईए (CIA) और केजीबी (KGB) जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों का जिक्र किया। उन्होंने 'मित्रोखिन की डायरियों' का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के करीब 150 सांसदों को सोवियत रूस से पैसा मिला था। कल्पना कीजिए, देश के चुने हुए प्रतिनिधियों को विदेशी ताकतें पैसे दे रही थीं! यह सिर्फ वित्तीय मदद नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

विदेशी फंडिंग: 16000 आर्टिकल और सुभद्रा जोशी का चुनाव

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निशिकांत दुबे यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि सोवियत रूस अपने हिसाब से भारत में 16000 आर्टिकल छपवाता था। इसका मतलब है कि भारत के मीडिया और विचारों को भी एक हद तक विदेशी ताकतें प्रभावित कर रही थीं। यह सूचना युद्ध का एक बड़ा उदाहरण है, जहां सच को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता था। क्या हमारी जनता को गुमराह किया जा रहा था?

उन्होंने 1977-80 के दौरान हुए एक और वाकये का जिक्र किया। कांग्रेस उम्मीदवार सुभद्रा जोशी पर आरोप है कि उन्होंने चुनाव के नाम पर जर्मन सरकार से 5 लाख रुपए लिए थे। बाद में उन्हें इंडो-जर्मन फोरम का अध्यक्ष बना दिया गया। क्या यह सिर्फ एक संयोग था या विदेशी सरकारों के साथ कोई गहरा संबंध? ये सवाल कांग्रेस के इतिहास पर एक काली छाया डालते हैं। दुबे के शब्दों में, "गांधी परिवार के नेतृत्व में हमारा देश सोवियत रूस को बेच दिया गया था।" यह एक बहुत ही गंभीर आरोप है, जो सीधे-सीधे देशद्रोह की श्रेणी में आता है।

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रवींद्र सिंह का रहस्यमय गायब होना: क्या ये भी विदेशी साजिश का हिस्सा?

मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब दुबे ने 2004 में मनमोहन सिंह सरकार बनने के बाद RAW के संयुक्त निदेशक रवींद्र सिंह के गायब होने का मुद्दा उठाया। रवींद्र सिंह, एक उच्च पदस्थ खुफिया अधिकारी, अचानक गायब हो गए और आज तक उनका कोई अता-पता नहीं है। क्या उनका गायब होना भी इन विदेशी एजेंसियों से जुड़ा था? क्या वे कुछ ऐसा जानते थे जो उजागर नहीं होना चाहिए था? ये प्रश्न राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं और इनका जवाब मिलना बेहद जरूरी है।

दुबे का दावा है कि 2014 तक, अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के 5-6 साल को छोड़ दें, भारत की सरकार या तो KGB या CIA चला रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और पूरा गांधी परिवार इन दोनों एजेंसियों की कठपुतली था। यह देश के लिए एक 'दुर्भाग्यपूर्ण' स्थिति थी, जहां देश की कमान विदेशी ताकतों के हाथों में थी। ये दावे भारतीय लोकतंत्र की नींव को हिला सकते हैं।

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अब आगे क्या? कांग्रेस पर जांच का दबाव बढ़ेगा!

निशिकांत दुबे के इन आरोपों के बाद कांग्रेस पर निश्चित रूप से दबाव बढ़ेगा। इन आरोपों की सत्यता की जांच होनी चाहिए। क्या ये सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है या इनके पीछे कोई ठोस सबूत हैं? भारत के इतिहास के इस काले अध्याय को उजागर करना जरूरी है। देश की जनता को सच जानने का हक है कि क्या वास्तव में हमारे चुने हुए प्रतिनिधि और हमारी सरकार विदेशी ताकतों के इशारे पर काम कर रही थी। इस मामले पर आने वाले समय में और भी कई खुलासे हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इन गंभीर आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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