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Karnataka में सीएम पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच घमासान, भाजपा ने साधा निशाना

कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर सीएम पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के गुटों में खींचतान तेज हो गई है। विधायक खुले समर्थन में उतर आए हैं तो भाजपा ने कांग्रेस पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है।

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Dhiraj Dhillon
Chief Minister Siddaramaiah and Deputy Chief Minister DK Shivakumar
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Karnataka News: कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बीच भाजपा ने कर्नाटक में हॉर्स ट्रेडिंग की बात कहकर मुद्दे को खासा हॉट बना दिया है। बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थकों के बीच तनातनी खुलकर सामने आ चुकी है। डीके शिवकुमार के समर्थक अब खुलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। मांड्या से कांग्रेस विधायक रवि कुमार गौड़ा ने कहा- अब और इंतजार नहीं किया जा सकता, डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद सौंपा जाना चाहिए। इससे पहले विधायक इकबाल हुसैन 100 विधायकों का समर्थन डीके शिवकुमार को मिलने का दावा कर चुके हैं।
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“भाजपा बोली- कर्नाटक में घोड़े बिक रहे हैं”

पिछले दिनों मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के दिल्ली आने के बाद यह मामला और गरमा गया। तमाम अटकलें लगाई जाने लगीं। राहुल गांधी से अलग-अलग मुलाकात की खबरें भी सामने आईं। इसके बाद सत्ता संघर्ष को लेकर चर्चाएं और तेज हो गईं। इस सियासी खींचतान पर भारतीय जनता पार्टी ने भी निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ही हॉर्स ट्रेडिंग में लगे हैं। दोनों गुट एक-दूसरे के विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस पूरी तरह बिखरी हुई है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा है कि भाजपा ‘ऑपरेशन लोटस’ नहीं चला रही है, बल्कि कांग्रेस की अंदरूनी कमजोर लीडरशिप इसके लिए जिम्मेदार है। “जिसके पास विधायक होंगे, वही मुख्यमंत्री बनेगा,” जोशी ने तंज कसते हुए कहा। 

“कांग्रेस में विधायकों की हो रही खरीद फरोख्त”

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BJP's allegation: भाजपा का कहना है कि कांग्रेस में विधायकों की खरीद-फरोख्त जारी है और "घोड़े बाजार में बिकने को तैयार हैं, खरीदार भी तैयार हैं।" कांग्रेस नेतृत्व की कमजोरी और दो धड़ों के बीच लगातार बढ़ रही इस खींचतान से राज्य की सियासत में उबाल है। आने वाले दिनों में पार्टी के हाईकमान को इस संकट से कैसे निपटना है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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