नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भाषा को लेकर अक्सर देश में सियासी विवाद होते रहे हैं। आमतौर पर स्थानीय भाषाओं को लेकर विवाद सामने आए हैं, लेकिन इस बार अंग्रेजी को लेकर सियासी पारा हाई है। गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बयान देते हुए कहा था कि देश में वह समय दूर नहीं जब अंग्रेजी बोलने वालों को खुद शर्म महसूस होगी। इस पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पलटवार किया है और भाजपा (BJP) पर आरोप लगाए हैं।
उनके बच्चों को देखो...
राहुल गांधी ने कहा, "मोहन भागवत हर रोज कहते हैं कि अंग्रेजी मत बोलो हिंदी बोलो। उनके बच्चों को देखो, उनके मंत्रियों के बच्चों को देखो, विदेश में जाकर पढ़ रहे हैं, यह हो क्या रहा है?। अंग्रेजी आप सीख गए तो अमेरिका चले जाओगे, जापान चले जाओगे, किसी भी कंपनी में चले जाओगे। यह बोल रहे हैं कि अंग्रेजी नहीं पढ़नी चाहिए, क्यों बोल रहे हैं, इसके पीछे की सोच क्या है। आप लोगों को करोड़ों की नौकरी मिले, वो नहीं चाहते हैं। वो चाहते हैं कि यह नौकरियां हमारी रहें, हम इंग्लिश स्कूल में जाएं, हमारा ठेका लगा रहे। एससी एसटी के बच्चे इंग्लिश स्कूल में न जाएं और अंग्रेजी न सीखें। वो चाहते हैं कि आपके लिए दरवाजा बंद हो।"
अंग्रेजी शर्म नहीं शक्ति है
राहुल गांधी के X हैंडल से यह वीडियो शेयर किया गया है। उन्होंने कैप्शन में लिखा है, "अंग्रेज़ी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेज़ी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेज़ी ज़ंजीर नहीं - ज़ंजीरें तोड़ने का औज़ार है। BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का ग़रीब बच्चा अंग्रेज़ी सीखे, क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें। आज की दुनिया में, अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी है जितनी आपकी मातृभाषा, क्योंकि यही रोज़गार दिलाएगी, आत्मविश्वास बढ़ाएगी।भारत की हर भाषा में आत्मा है, संस्कृति है, ज्ञान है। हमें उन्हें संजोना है - और साथ ही हर बच्चे को अंग्रेज़ी सिखानी है। यही रास्ता है एक ऐसे भारत का, जो दुनिया से मुकाबला करे, जो हर बच्चे को बराबरी का मौका दे।"
अमित शाह का अंग्रेजी पर बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बयान देते हुए कहा था कि भारत को अपनी भाषाओं को गर्व के साथ अपनाना चाहिए और उपनिवेशीय सोच को त्यागना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश में वह समय दूर नहीं जब अंग्रेजी बोलने वालों को खुद शर्म महसूस होगी। जो लोग बदलाव लाने का संकल्प लेते हैं, वही बदलाव करते हैं। हमारी भाषाएं हमारी संस्कृति के आभूषण हैं। भारतीय भाषाओं के बिना हम सच्चे अर्थों में भारतीय नहीं रह जाते।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए विदेशी भाषाएं कभी भी पर्याप्त नहीं हो सकतीं। "आधा-अधूरा विदेशी भाषा ज्ञान एक पूर्ण भारत की कल्पना को बाधित करता है। यह लड़ाई कठिन है लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय समाज इसे जीतेगा। आत्मगौरव के साथ हम अपनी भाषाओं में देश चलाएंगे और दुनिया का नेतृत्व करेंगे।" Political News