महाकुंभ नगर, वाईबीएन नेटवर्क।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में आध्यात्मिकता और पौराणिकता के साथ-साथ अब राजनीति का माहौल भी गरमा गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम पर महाकुंभ क्षेत्र में बने शिविर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। शिविर का उद्घाटन होने के बाद से वहां लगातार भंडारे का प्रसाद वितरित किया जा रहा है, लेकिन एक सोशल मीडिया पोस्ट ने इस मामले को तूल दे दिया है।
सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ विवाद
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ने सोशल मीडिया साइट X पर मुलायम सिंह यादव की मूर्ति की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, "अगर आप कुंभ जाएं तो पीडीए के भगवान के दर्शन जरूर करें।" इस ट्वीट को लेकर अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए इसे रीपोस्ट किया। पोस्ट में लिखा गया, "अगर आप महाकुंभ जाएं तो इस कठमुल्ले पर मू.. करने जरूर जाएं।" हालांकि, यह पोस्ट राजू दास की आधिकारिक आईडी पर अब उपलब्ध नहीं है, और यह स्पष्ट नहीं है कि यह उनके द्वारा ही लिखा गया था या किसी और ने उनकी आईडी का इस्तेमाल किया था।
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सपा नेताओं का विरोध
महंत राजू दास की कथित टिप्पणी पर सपा समर्थकों ने तीखा विरोध जताया। प्रयागराज के सपा नेता और शहर उत्तरी के पूर्व प्रत्याशी संदीप यादव ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, "यह भाषा संत की नहीं हो सकती। राजू दास, तुम पूरे लतखोर हो। लखनऊ में पीटे थे, वहां सही से दवा नहीं हो पाई। ये प्रयागराज वाले लतियाते कम, घसीटते ज्यादा हैं। तुम जैसे हारमखोर को तो गंगा भी पवित्र नहीं कर सकती। लाख तलवे चाटो, टिकट नहीं मिलेगा।"
संदीप यादव की इस टिप्पणी ने विवाद को और भड़का दिया है। सपा कार्यकर्ताओं ने राजू दास की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि संत होकर ऐसी भाषा का उपयोग करना निंदनीय है।
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महाकुंभ में सियासत का अखाड़ा
महाकुंभ, जो कि एक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, अब राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बनता नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि महंत राजू दास पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे।
पुलिस की भूमिका और स्थिति
फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है। यह स्पष्ट नहीं है कि महंत राजू दास द्वारा कथित टिप्पणी की पुष्टि हुई है या नहीं। वहीं, सपा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए।
धार्मिक आयोजन या राजनीतिक मंच?
महाकुंभ, जहां देशभर से लोग धर्म, अध्यात्म और पौराणिक महत्व का अनुभव करने आते हैं, अब राजनीतिक अखाड़ा बनता दिख रहा है। महंत और सपा नेताओं के बीच इस बहस ने धार्मिक आयोजन की पवित्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे सुलझाता है और महाकुंभ में शांति और आध्यात्मिकता का माहौल बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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