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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। caste census News: भारत में जनगणना एक पारंपरिक और अहम प्रक्रिया रही है, जिसे अब तक सभी सरकारों ने अनुभव और समझदारी से पूरा किया है। लेकिन अब जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि जहां सामान्य जनगणना में 8 से 10 हजार करोड़ रुपये तक का खर्च आता है, वहीं जातिगत जनगणना के लिए मोदी सरकार ने केवल 570 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
औपचारिक अधिसूचना पर भी उठाए सवाल
कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि सरकार जनता के सामने यह दावा तो कर रही है कि वह जातिगत जनगणना कराएगी, लेकिन इसके लिए कोई औपचारिक अधिसूचना (Notification) अब तक जारी नहीं की गई है। सचिन पायलट ने तेलंगाना मॉडल की तारीफ करते हुए कहा कि वहां की सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण बेहद व्यवस्थित ढंग से किया, जिसमें सरकारी अधिकारियों के बजाय एनजीओ और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली गई।
असमानताओं की सही तस्वीर के लिए जातिगत जनगणना जरूरी
सचिन पायलट ने कहा- जातिगत जनगणना पहला जरूरी कदम है, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की सही तस्वीर सामने आती है। लेकिन मोदी सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं दिखती। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है और आने वाले समय में यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
विपक्ष के आरोप, सरकार की मंशा पर संदेह
Cast census: कांग्रेस नेता सचिन पायलट, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन जैसे नेता केंद्र सरकार पर "नीतिगत अस्पष्टता" और "राजनीतिक भ्रम" फैलाने का आरोप लगा चुके हैं।
मुख्य आरोप ये हैं:
- केवल 570 करोड़ रुपये का बजट आवंटन, जबकि सामान्य जनगणना में 8-10 हजार करोड़ का खर्च आता है।
- अब तक कोई आधिकारिक अधिसूचना (Notification) जारी नहीं की गई।
- जातिगत जनगणना की बात सार्वजनिक मंचों पर कही जा रही है, लेकिन नीति दस्तावेजों में उल्लेख नहीं है।
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