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संगठन चुनाव में भी Yogi Adityanath के सामने सब नतमस्तक, केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत भी काम नहीं आई

UP मे आज भी योगी का ही जलवा है । जिला अध्यक्ष चुनाव में भी योगी की ही चल एही है। पार्टी में उनके विरोधियों ने केंद्रीय नेतृत्व तक से योगी की शिकायत की, लेकिन यूपी के सीएम अपनी बात मनवाने में सफल रहे।

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Munna Rai
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YOGI ADITYANATH
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उत्तर प्रदेश, वाईबीएन नेटवर्क। 
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सियासत का अपना स्टाइल है। पार्टी के भीतर या बाबर, विरोधियों को जवाब देना सीएम योगी भली-भांति जानते हैं। वे विरोधियों से ताल ठोक कर मुकाबला करते हैं और उन्हें बखूबी जवाब भी देते हैं। योगी सुनते सब की हैं, लेकिन करते अपने मन की हैं। यूपी में फिलहाल चल रहे संगठन चुनावों में भी यही देखने को मिल रहा है। भाजपा के जिला अध्यक्षों के चुनाव में योगी अपने लोगों को पद दिलाने में कामयाब रहे। पार्टी में उनके विरोधियों ने योगी की शिकायत केंद्रीय नेतृत्व तक की, लेकिन उनकी एक नहीं चली। पार्टी आलाकमान को भी अंततः योगी बाबा के आगे झुकना ही पड़ा।
बात पिछले दिनों की है जब उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिले। सूत्रों की माने तो मौर्य ने नड्डा से योगी की शिकायत की। उनका आरोप था कि योगी जिला अध्यक्षों के चुनाव में भी किसी की नहीं सुन रहे। मौर्य ने नड्डा के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी अपना दुखड़ा सुनाया। इसके बाद सीएम योगी को दिल्ली दरबार में तलब किया गया। योगी ने दिल्ली पहुंच कर नड्डा और अमित शाह के सामने अपनी सफाई पेश की। उनका कहना था कि प्रदेश भाजपा की कमान भूपेन्द्र चौधरी के हाथों में है तो वे अपनी मनमर्जी कैसे चला सकते हैं। काफी मशक्कत के बाद आखिर बाबा अपनी बात मनवाने में सफल हो ही गए। उनके विरोधियों को भी मुंह की खानी पड़ी। 
प्रदेश का नेतृत्व करते हुए बाबा को अपनों और गैरों, दोनों से निपटना पड़ता है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को योगी विधान सभा में ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक मंच पर भी गाहे बेगाहे माकूल जबाब देते हैं। जबाब भी इस अंदाज में देते हैं कि सुनने वाले भी तारीफ किया बिना नहीं रह पाते। भारतीय जनता पार्टी में भी बाबा की घेराबंदी कम नहीं होती है। उनके कद को कम करने के कई बार प्रयास किए गए, लेकिन योगी के आगे अब तक किसी की नहीं चली। वे हर चुनौती का डटकर मुकाबला करते हैं। 

योगी में बाबा बा ! 

पिछले सालों में कई बार ऐसा देखा गया कि योगी को उन्ही की पार्टी में अलग-थलग करने की कोशिश की गई लेकिन वे हर बार इससे उबरने में कामयाब रहे। यूपी विधानसभा चुनाव में केशव मौर्य को हारने के बाद भी उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसे बाबा का कद कम करने के प्रयास के तौर पर देखा जाता है, लेकिन योगी पर इसका खास असर नहीं दिखता। तभी तो इन दिनों में एक चीज काफी प्रचलित है- यूपी में केवल बाबा बा।  
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