Advertisment

Puri Rath Yatra 2025 शुरू! राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री की शुभकामनाएं! लेकिन PM मोदी ने जो कहा, सुनकर भावुक हो उठे भक्त

आज शुक्रवार 27 जून 2025 को भारतभर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हुई। पुरी, अहमदाबाद सहित कई शहरों में लाखों भक्त उमड़े। राष्ट्रपति, PM ने दी बधाई। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, उमड़ा आस्था का सैलाब। जानें यह महापर्व कैसे भारतीय संस्कृति की आत्मा है?

author-image
Ajit Kumar Pandey
पुरी रथ यात्रा 2025 में भगवान जगन्नाथ का विशाल रथ, भक्तों की भीड़ और उत्सव का माहौल।

27 जून 2025 को पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का एक विहंगम दृश्य, जहां लाखों श्रद्धालु भक्ति में लीन हैं | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत आज शुक्रवार 27 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन पर्व में सराबोर है। देश के विभिन्न हिस्सों से, खासकर ओडिशा के पुरी से, यह सदियों पुरानी परंपरा आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है। लाखों श्रद्धालु, रंग-बिरंगे रथों और जयकारों के साथ, अपने आराध्य देव जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को नगर भ्रमण कराते हैं। 

Advertisment

इस साल की रथ यात्रा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम और भव्यता का विशेष ध्यान रखा गया है, जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी शुभकामनाएं भेजी हैं। आइए, इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा के हर पहलू पर विस्तार से नज़र डालते हैं, और समझते हैं कि कैसे यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की धड़कन है।

रथ यात्रा 2025: भक्ति का विराट सैलाब, पुरी से देशभर में गूंजती जयकार!

Advertisment

भारत में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुमार सबसे बड़े और प्राचीन त्योहारों में होता है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह यात्रा केवल पुरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु इस भव्य जुलूस का हिस्सा बनते हैं। 27 जून 2025 को, यह आध्यात्मिक यात्रा फिर एक बार अपने पूरे वैभव के साथ शुरू हो गई है।

पुरी: रथ यात्रा का हृदय, जहां से निकलती है भक्ति की धारा

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर रथ यात्रा का केंद्र बिंदु है। यहां से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के विशाल रथ, जिन्हें नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र) और देवदलन (सुभद्रा) कहा जाता है। मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं।

Advertisment

यह यात्रा 'पहांडी' (देवताओं को रथ पर बैठाने की प्रक्रिया) के साथ शुरू होती है, जिसके बाद दोपहर तक 'छेरा पहरा' (पुरी के गजपति महाराज द्वारा रथों की सफाई) की रस्म निभाई जाती है। इसके उपरांत, लाखों भक्तों द्वारा रस्सियों से खींचकर रथों को आगे बढ़ाया जाता है।

पुरी में सुरक्षा व्यवस्था बेहद चाक-चौबंद है, ड्रोन कैमरों से लेकर हजारों पुलिसकर्मी चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं ताकि यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

क्या आप जानते हैं कि यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक महापर्व भी है, जो एकता का संदेश देता है?

Advertisment

देश के कोने-कोने में गूंज रही जय जगन्नाथ की ध्वनि

पुरी के अलावा, भारत के कई अन्य शहरों में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। इन स्थानों पर स्थानीय परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार यात्राएं निकाली जाती हैं, लेकिन उनका मूल भाव एक ही रहता है - भगवान के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास।

अहमदाबाद, गुजरात: यहां की रथ यात्रा भी पुरी जितनी ही प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ का विशाल रथ, साथ में हाथियों, अखाड़ों और भजन मंडलियों के साथ, शहर की मुख्य सड़कों से होकर गुजरता है। यह यात्रा सुबह लगभग 7:00 बजे शुरू होती है और दिन भर चलती रहती है। गुजरात सरकार ने यहां भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

इस्कॉन मंदिर, दिल्ली और अन्य शहर: इस्कॉन (ISKCON) मंदिर पूरे विश्व में भगवान कृष्ण और जगन्नाथ के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और अन्य कई शहरों में इस्कॉन मंदिरों द्वारा भव्य रथ यात्राएं निकाली जाती हैं। ये यात्राएं आमतौर पर सुबह 10:00 बजे के आसपास शुरू होती हैं, और इनमें विदेशी भक्त भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं, जो इस पर्व को एक वैश्विक स्वरूप प्रदान करते हैं।

बनारस, उत्तर प्रदेश: काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस में भी जगन्नाथ यात्रा का महत्व है। यहां के विभिन्न मंदिरों से छोटे पैमाने पर रथ यात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें स्थानीय भक्त बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह यात्रा मुख्य रूप से दोपहर में शुरू होती है।

रांची, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और देश के अन्य बड़े शहरों में भी स्थानीय जगन्नाथ मंदिरों द्वारा रथ यात्राएं आयोजित की जाती हैं। इन सभी स्थानों पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो जाती है, और पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।

इन सभी जगहों पर, स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। क्या आप भी इन रथ यात्राओं का हिस्सा बनने की सोच रहे हैं?

सुरक्षा व्यवस्था और यात्रा का प्रबंधन: हर पहलू पर पैनी नज़र

इस वर्ष की भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व है। विशेष रूप से पुरी में, ओडिशा पुलिस ने एक बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया है। 

सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी: पूरे यात्रा मार्ग पर सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी लाइव फीड कंट्रोल रूम में मॉनिटर की जा रही है। ड्रोन कैमरों का उपयोग भी भीड़ नियंत्रण और संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए किया जा रहा है।

फोर्स की तैनाती: हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी, रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और विशेष कमांडो बल तैनात किए गए हैं।

भीड़ प्रबंधन: भीड़ को नियंत्रित करने और भगदड़ जैसी स्थिति से बचने के लिए विशेष बैरिकेडिंग और प्रवेश-निकास द्वार बनाए गए हैं।

स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाएं: यात्रा मार्ग पर कई मेडिकल कैंप लगाए गए हैं, जहां आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। एंबुलेंस और स्वास्थ्यकर्मियों की टीमें भी तैनात हैं।

साइबर सुरक्षा: फेक न्यूज और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सोशल मीडिया पर भी लगातार निगरानी रखी जा रही है।

ये सब इंतजाम यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि लाखों भक्त सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से अपने आराध्य के दर्शन कर सकें।

नेताओं ने दी शुभकामनाएं: आस्था और एकजुटता का संदेश

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के इस शुभ अवसर पर, देश के शीर्ष नेताओं ने भी अपनी शुभकामनाएं भेजी हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, "भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान जगन्नाथ सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने भी अपने संदेश में कहा, "रथ यात्रा के पावन अवसर पर सभी को बधाई। भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से हमारा समाज और अधिक समृद्ध और स्वस्थ हो। जय जगन्नाथ!"

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, ओडिशा के मुख्यमंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनीतिक हस्तियों ने भी ट्वीट और प्रेस विज्ञप्तियों के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की हैं, जो इस पर्व की राष्ट्रीय महत्ता को दर्शाता है।

इन शुभकामनाओं ने भक्तों के उत्साह को और बढ़ा दिया है, और यह दर्शाता है कि यह पर्व राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का प्रतीक है। क्या यह दर्शाता है कि धार्मिक पर्व हमारे देश को और करीब लाते हैं?

रथ यात्रा: केवल एक पर्व नहीं, एक जीवन शैली

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है। यह ओडिशा की संस्कृति, कला, संगीत और हस्तशिल्प का भी प्रदर्शन है। यात्रा के दौरान लोक नृत्य, भजन और कीर्तन होते रहते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे सदियों पुरानी परंपराएं आज भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। यह आस्था, त्याग और सामुदायिक सौहार्द का प्रतीक है।

हर साल, लकड़ी के इन विशाल रथों का निर्माण नए सिरे से किया जाता है, जो एक अनूठी परंपरा है। रथों को सजाने में स्थानीय कारीगरों की कला का बेजोड़ नमूना देखने को मिलता है। इस पर्व के दौरान जो सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति का माहौल होता है, वह हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है।

आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? नीचे कमेंट करें, हम पढ़ रहे हैं! 

jagnath temple | Bhagwan Jagannath Rath Yatra | Odisha Rath Yatra Update | Puri Rath Yatra 2025 | pm modi | पीएम मोदी |

pm modi पीएम मोदी jagnath temple Bhagwan Jagannath Rath Yatra Odisha Rath Yatra Update Puri Rath Yatra 2025
Advertisment
Advertisment