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रेलवे ने बदले ट्रेन ड्राइवरों के विश्राम नियम, यूनियन ने बताया ‘अवैध और खतरनाक’

लोको पायलट के लिए 'आउटस्टेशन विश्राम' नियमों में बदलाव करते हुए ड्यूटी की अवधि के आधार पर विश्राम का समय तय किया है। 8 घंटे की ड्यूटी पर 8 घंटे का, 5-8 घंटे की ड्यूटी पर 6 घंटे का और 5 घंटे से कम ड्यूटी पर ड्यूटी से एक घंटा अधिक विश्राम मिलेगा।

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Suraj Kumar
Indiaan loko pilot
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रेल मंत्रालय ने ट्रेनचालकों यानी लोको पायलट और उनके दल के लिए 'आउटस्टेशन विश्राम नियमों' में बदलाव किया है। इस बदलाव का मकसद देशभर के सभी रेलवे जोनों और मंडलों में एकरूपता लाना बताया गया है। लेकिन इस फैसले का ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) ने कड़ा विरोध किया है और इसे “अवैध आदेश” बताया है।

नए नियम क्या हैं?

रेल सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) के महाप्रबंधक के नाम तीन जून को जारी परिपत्र में बताया गया है कि:

8 घंटे की ड्यूटी पर 8 घंटे का विश्राम मिलेगा।

5 से 8 घंटे की ड्यूटी पर 6 घंटे का विश्राम मिलेगा।

5 घंटे या उससे कम ड्यूटी करने वालों को ड्यूटी से एक घंटा अधिक विश्राम मिलेगा।

परिपत्र में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में आउटस्टेशन विश्राम के 6 अलग-अलग प्रकार के नियम अपनाए जा रहे हैं, जिन्हें अब तक किया जाएगा।

यूनियन ने जताया कड़ा विरोध

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AILRSA का कहना है कि यह नया आदेश 2016 में बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है। यूनियन के मुताबिक कम से कम 8 घंटे का विश्राम बेहद जरूरी है, क्योंकि कर्मचारियों को न केवल नींद लेनी होती है, बल्कि व्यक्तिगत जरूरतें जैसे—रनिंग रूम तक आना-जाना, स्नान, भोजन बनाना और खाना आदि काम भी करने होते हैं।
महासचिव का बयान
AILRSA के महासचिव केसी जेम्स ने कहा, “हकीकत में कर्मचारियों को विश्राम के लिए आठ घंटे भी नहीं मिलते, जबकि नींद के लिए कम से कम आठ घंटे जरूरी हैं। मंत्रालय का यह कदम सुरक्षित रेल संचालन के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।”  Indian Railways mega projects | Indian Railways special trains not present in content



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