नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पुराने दस्तावेजों को सार्वजनिक करते हुए लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं। भारत- पाक सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सीजफायर की घोषणा करने पर उठ रहे सवालों के जवाब में अब निशिकांत दुबे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड रेगन का पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लिखा गया पत्र एक्स पर शेयर कर कहा है- “गांधी होना आसान नहीं” यह कथन केवल प्रतीक नहीं, एक ऐतिहासिक जिम्मेदारी भी है। जब भारत ने 1972 के शिमला समझौते में यह स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी विवाद का समाधान केवल द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से होगा, तब यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन से पाकिस्तान से बातचीत के लिए मध्यस्थता या सहयोग मांगा?
राजीव गांधी के पत्र के जवाब में लिखा था रेगन ने पत्र
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी तक को घेरने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने राष्ट्रपति रेगन का पत्र सार्वजनिक करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घेरने का प्रयास किया है और अमेरिका से भारत - पाक के बीच मध्यस्थता की अर्जी का आरोप लगाया है। निशिकांत दुबे ने कहा है कि यह सवाल एक ऐतिहासिक पत्राचार से उठता है जिसमें रेगन ने राजीव गांधी को जवाब देते हुए कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की जिनमें भारत को सुपर कंप्यूटर की बिक्री, INSAT-1D सैटेलाइट लॉन्च में मदद, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट में अमेरिकी भागीदारी, अफगानिस्तान में शांति प्रयास, और दक्षिण एशिया में परमाणु प्रसार पर चिंता शामिल हैं।
ये हैं रेगन के पत्र के मुख्य बिंदु
- 1. सुपर कंप्यूटर की अनुमति: अमेरिका ने भारत को आधुनिक सुपर कंप्यूटर देने पर सहमति दी, बशर्ते सुरक्षा शर्तों का पालन किया जाए।
- 2. INSAT-1D लॉन्च में सहयोग: चैलेंजर हादसे के बावजूद एक अमेरिकी कंपनी ने INSAT-1D को समय से पहले लॉन्च करने की पेशकश की।
- 3. एलसीए (LCA) प्रोजेक्ट में तकनीकी मदद: अमेरिका ने भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट में तकनीकी सहायता पर सकारात्मक संकेत दिए।
- 4. भारत-पाक तनाव पर चिंता: रेगन ने भारत-पाक तनाव में कमी लाने वाले समझौतों का स्वागत किया और दोनों देशों को सीमा सुरक्षा, ड्रग्स और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों की सलाह दी।
- 5. अफगानिस्तान मसला: राजीव गांधी के सोवियत नेताओं से अफगानिस्तान पर बातचीत को सराहते हुए रेगन ने कहा कि अमेरिका एक ऐसे राजनीतिक समाधान का समर्थन करता है जो स्वतंत्र अफगान निर्णय की गारंटी दे।
- 6. परमाणु प्रसार: रेगन ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताई और भारत से ज़िया उल हक़ की प्रस्तावों पर विचार करने की अपील की।
सवाल अब भी कायम है
क्या राजीव गांधी ने शिमला समझौते के मूल आत्मा को दरकिनार कर अमेरिका से मध्यस्थता की उम्मीद की थी? कई जानकार मानते हैं कि राजीव गांधी ने रेगन से सीधे "मध्यस्थता" की नहीं, बल्कि सहयोगात्मक दबाव की उम्मीद की थी ताकि पाकिस्तान पर शांति प्रक्रिया को लेकर अमेरिका का प्रभाव इस्तेमाल हो सके।