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कांग्रेस के दावे पर Nishikant Dubey का बड़ा सवाल, बोले- मोरारजी पर आरोप लेकिन इंदिरा गांधी पर चुप्पी क्यों?

यह विवाद उस वक्त खड़ा हो गया जब कांग्रेस पार्टी के एक प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने जनरल ज़िया को भारत की खुफिया जानकारी देकर RAW अधिकारियों की हत्या करवाई थी।

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Jyoti Yadav
nishikant dubey, BJP MP
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे का एक ट्वीट काफी सुर्खियों में है। इस ट्वीट में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। निशिकांत दुबे ने सवाल करते हुए कांग्रेस पर बड़ा आरोप भी लगाया है। निशिकांत दुबे ने आरोप लगाते हुए सवाल किया कि क्या RAW के अधिकारियों को मरवाने मरवाने में कांग्रेस का हाथ है ? अपने ट्वीट में उन्होंने साफ तौर पर कई सवाल उठाए। उनका सवाल है कि भारतीय अधिकारियों को मरवाने वाले जनरल जिया को इंदिरा गॉंधी जी 1980 में क्यों मिली? 1982 में दिल्ली क्यों बुलाकर दावत खिलाया? कॉग्रेस का हाथ? दरअसल कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री मोरारजी पर देश की खुफिया जानकारी जनरल जिया से साझा करने का आरोप लगता रहा है, इसी जबाव मेंनिशिकांत दुबे ने यह पोस्ट लिखा और कांग्रेस पर ही सवाल दागे। 

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निशिकांत दुबे का ट्वीट

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीट में लिखा -"1972 में शिमला समझौता इंदिरा गांधी जी ने भुट्टो के साथ किया,भुट्टो मारा गया,जनरल जिया राष्ट्रपति बने, किसी पाकिस्तानी दरिंदे को 10 साल बाद 1982 में फिर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने ही दिल्ली बुलाकर दावत खिलाई। अब यदि कांग्रेस के प्रवक्ता की बात मानी जाए कि प्रधानमंत्री मोरारजी ने देश की सूचना जनरल जिया को देकर RAW के अधिकारियों को मरवाया तो मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया कि भारतीय अधिकारियों को मरवाने वाले जनरल जिया को इंदिरा गॉंधी जी 1980 में क्यों मिली? 1982 में दिल्ली क्यों बुलाकर दावत खिलाया? कॉग्रेस का हाथ?

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कांग्रेस का बड़ा आरोप

यह विवाद उस वक्त खड़ा हो गया जब कांग्रेस पार्टी के एक प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने जनरल ज़िया को भारत की खुफिया जानकारी देकर RAW अधिकारियों की हत्या करवाई थी। दरअसल जयशंकर के पाकिस्तान को चेतावनी देने वाले बयान की चर्चा देश भर में हो रही है। विपक्ष हमलावर है इस मुद्दे को लेकर। इसी को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया कि जैसे जयशंकर ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी वैसे ही मोरारजी देसाई ने भी देशद्रोह किया था। इसपर अब निशिकातं दुबे ने बड़ा सवाल यह उठया है अगर जनरल ज़िया RAW के अधिकारियों की हत्या के दोषी थे, तो इंदिरा गांधी ने उन्हें 1980 में क्यों मिलने दिया और 1982 में दिल्ली बुलाकर दावत क्यों दी? 

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भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत

बता दें, 1971 की जंग जीतने के बाद 1972 में भारत ने पाकिस्तान के साथ शिमला समझौता किया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुई इस संधि को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत कहा गया, लेकिन पाकिस्तान के भीतर हालात बदले और 1979 में भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया। उसके बाद सत्ता संभाली जनरल जिया-उल-हक़ ने — वही ज़िया, जिनके दौर में भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में फिर से जहर घुला।

मोरारजी पर आरोप, लेकिन इंदिरा गांधी पर चुप्पी क्यों?

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कांग्रेस प्रवक्ता के बयान के बाद यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। सवाल उठने लाज़मी हैं — क्या इंदिरा गांधी ने जानबूझकर उस व्यक्ति से मुलाकात की, जिस पर भारतीय जासूसों की हत्या का शक था? क्या 1982 में दिल्ली बुलाकर ज़िया को दावत देना किसी रणनीतिक मजबूरी का हिस्सा था या फिर कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क था?

जनरल ज़िया का भारत दौरा

1982 में जब जनरल ज़िया भारत आए, तब वह क्रिकेट डिप्लोमेसी के बहाने आए थे। दिल्ली में उनका शानदार स्वागत हुआ, इंदिरा गांधी से मुलाक़ात हुई और दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने की कोशिश की गई। लेकिन अब जब कांग्रेस खुद यह दावा कर रही है कि ज़िया ने RAW के अधिकारियों की जान ली, तो यह स्वागत सवालों के घेरे में आ गया है।

क्या कांग्रेस अपने ही दावे में फंस गई?

निशिकांत दुबे द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद अब कांग्रेस अपने ही सवालों में उलझती नजर आ रही है। निशिकांत दुबे का कहना है कि अगर मोरारजी देसाई दोषी हैं तो ज़िया को बुलाने की जिम्मेदारी भी तो इंदिरा गांधी पर आती है? क्या यह कांग्रेस की दोहरी नीति का उदाहरण नहीं है? क्या यह भारत की सुरक्षा और कूटनीति के साथ खिलवाड़ नहीं था? इस घटनाक्रम पर भाजपा ने भी सवाल उठाए हैं कि कांग्रेस अपने इतिहास को लेकर या तो झूठ बोल रही है या फिर उसे खुद नहीं पता कि उसने क्या किया। 

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