प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका से लौटते हुए रामसेतु के दर्शन किए। हवाई मार्ग से भारत लौटते पीएम मोदी ने रामसेतु के नजारे को दिव्य बताया। पीएम ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है कि रामनवमी पर ऐसा संयोग, जिस समय रामसेतु के दर्शन कर रहा था, उसी समय मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के दर्शन का भी सौभाग्य मिला। मेरी प्रार्थना है, हम सभी पर प्रभु श्रीराम की कृपा बनी रहे।
पंबन लिफ्ट सी ब्रिज का उदघाटन किया
तमिलनाडु पहुंचकर pm narendra modi ने रामनवमी के अवसर पर पंबन लिफ्ट सी ब्रिज का उदघाटन किया। यह ब्रिज रामेश्वरम को रेल मार्ग से जोड़ेगा। Pm Modi ने तमिलनाडु में रामेश्वरम तांबरम रेल सेवा को भी हरी झंडी दिखाई। प्रधानमंत्री श्रीलंका से अपनी यात्रा संपन्न कर सीधे तमिलनाडु पहुंचे थे। श्रीलंका से लौटते हुए पीएम मोदी ने आसमान से एतिहासिक राम सेतु और अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के भी दर्शन किए और इस अनुभव को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया।
देश वासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं
इससे पहले रविवार की सुबह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देश वासियों को राम नवमी पर शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में कहा था कि श्रीराम के जन्मोत्सव का यह पावन और पुनीत अवसर देशवासियों के जीवन में नई चेतना और नया उत्साह लेकर आए, जो सशक्त, समृद्ध और समर्थ भारत के संकल्प को निरंतर नई ऊर्जा प्रदान करने वाला हो, जयश्रीराम।
550 करोड़ की लागत से बना “राम सेतु”
रेलवे ने आधुनिक राम सेतु यानी पंबन रेलवे पुल का निर्माण उसी जगह (धनुष कोड़ी) से किया है, जहां कभी लंका जाने के लिए राम सेतु बनाया गया था। 550 करोड़ की लागत से बने इस पुल को राम सेतु की तरह मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है। 2.08 किमी लंबा यह ब्रिज भारतीय इंजीनियरिंग का नया कीर्तिमान है। ब्रिज की ऊंचाई पुराने पुल से तीन मीटर अधिक है और इसकी चौड़ाई इतनी है कि एक लेन में दो रेल ट्रैक एक साथ चल सकें।
111 साल पुराने ब्रिटिश पुल की जगह लेगा नया ब्रिज
1914 में बने पुराने पंबन ब्रिज को ब्रिटिश इंजीनियरों ने डिज़ाइन किया था। यह एक कैंटिलीवर ब्रिज था, जिसमें एक शेरजर रोलिंग लिफ्ट सेक्शन था। समुद्र की चुनौतियों और ट्रैफिक दबाव के कारण 2019 में नए पुल को मंज़ूरी मिली थी। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ब्रिज की श्रेणी में शामिल पंबेन पुल रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा बनाया गया है। इस पुल ने निर्माण के दौरान चक्रवात, समुद्री लहरें और पर्यावरणीय प्रतिबंधों जैसी कई बाधाओं का सामना किया। अब इसे गोल्डन गेट ब्रिज (अमेरिका), टावर ब्रिज (लंदन), ओरेसुंड ब्रिज (डेनमार्क-स्वीडन) जैसी वैश्विक इंजीनियरिंग चमत्कारों की श्रेणी में गिना जा रहा है।