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यही मेरे पति को सच्ची श्रद्धांजलि..."Operation Sindoor" पर सामने आया पहलगाम पीड़ितों का रिएक्शन

भारत ने पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और मिसाइल स्ट्राइक कर नेस्तनाबूत कर दिया। "ऑपरेशन सिंदूर" पर उन पीड़ित परिवारों का रिएक्शन सामने आया है, जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपनों को खोया, आइए जानते हैं....

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Pratiksha Parashar
ऑपरेशन सिंदूर
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले का भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और मिसाइल स्ट्राइक कर नेस्तनाबूत कर दिया। भारत की कार्रवाई में लगभग 100 आतंकी मारे गए हैं। भारतीय सेना ने बिना सीमा पार किए पाकिस्तान पर हमला किया है। इससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। दूसरी तरफ आतंकियों से बदला लेने के बाद भारतीयों में खुशी की लहर है। "ऑपरेशन सिंदूर" पर उन पीड़ित परिवारों का रिएक्शन सामने आया है, जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपनों को खोया, आइए जानते हैं....

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मेरे पति को सच्ची श्रद्धांजली...

पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने कहा, "मैं अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहती हूं। मेरे पूरे परिवार को उन पर भरोसा था और जिस तरह से उन्होंने (पाकिस्तान को) जवाब दिया, उसने हमारे भरोसे को कायम रखा है। यही मेरे पति को सच्ची श्रद्धांजलि है। मेरे पति आज जहां भी होंगे, उन्हें शांति मिलेगी।"

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"मेरा पूरा परिवार खुश है"

शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा किए गए कदम ने देश की सरकार में विश्वास की भावना पैदा की है। "मैं लगातार खबरें देख रहा हूं। मैं भारतीय सेना को सलाम करता हूं और पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने देश के लोगों का दर्द सुना। जिस तरह से भारतीय सेना ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद को खत्म किया है, उसके लिए मैं हमारी सेना को धन्यवाद देता हूं, जब से हमने यह खबर सुनी है, मेरा पूरा परिवार खुश है।" 

"हम खुशी से रो रहे थे...."

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पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों में से एक संतोष जगदाले की बेटी असवारी जगदाले ने भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले पर अपना रिएक्शन दिया। जगदाले ने कहा, "हम खुशी से रो रहे थे। मोदी ने बदला लिया है, और जिस तरह से ऑपरेशन का नाम रखा गया था, हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे। जिन बहनों के सिंदूर (वैवाहिक स्थिति का प्रतीक) को इन आतंकवादियों ने मिटा दिया था - भारत ने उन पर नौ स्थानों पर हमला किया है। यह वास्तव में अलग लगता है, और हमारी खुशी के आंसू बस नहीं रुकेंगे।" 

कश्मीरी युवक का परिवार क्या बोला?

पहलगाम आतंकी हमले में कश्मीर के एक स्थानीय निवासी सैयद आदिल हुसैन शाह की भी मौत हो गई थी। अब पहलगाम आतंकी हमले के बदले और ऑपरेशन सिंदूर पर आदिल हुसैन शाह के भाई सैयद नौशाद ने कहा, "मैं हमारे सुरक्षा बलों, प्रधानमंत्री मोदी, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इतना अच्छा कदम उठाने के लिए धन्यवाद देता हूं, उन्होंने उन निर्दोष लोगों की मौत का बदला लिया है। हमें अपनी सरकार पर गर्व है, हमें उन पर भरोसा था।"

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"मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं गया"

कर्नाटक निवासी मंजूनाथ राव की मां सुमति ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा है कि मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं गया, हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी उचित कार्रवाई करेंगे और उन्होंने ऐसा किया। 

"ऑपरेशन सिंदूर नाम देकर महिलाओं का सम्मान"

कौस्तुभ गणबोटे की पत्नी संगीता गणबोटे ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा है कि सेना द्वारा की गई कार्रवाई अच्छी है और इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम देकर उन्होंने महिलाओं का सम्मान किया है। हम प्रधानमंत्री मोदी से ऐसी कार्रवाई का इंतजार कर रहे थे और उन्होंने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का सफाया होना चाहिए। 

मेरे बेटे का शव लाने के बाद...

भारत भूषण के पिता चन्नवीरप्पा ने कहा, "मेरे बेटे का शव लाने के बाद, मैंने सोचा था कि पीएम मोदी इन आतंकी हमलों को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाएंगे और निश्चित रूप से भारत सरकार ने ऐसा किया है, उन्होंने अच्छे फैसले लिए हैं।"  

ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला? 

ऑपरेशन सिंदूर पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उमर अब्दुल्ला ने कहा, "जवाब देने का तरीका यही था कि पाकिस्तान में कोई नागरिक या मिलिट्री वाली जगह पर हमला नहीं किया जाए, सिर्फ वो जगह पर हमला किया गया जहां आतंकी काम करते हैं, जिन्होंने पिछले 30-35 साल जम्मू-कश्मीर में तबाही फलाई है, उन्हें निशाना बनाया गया।" उमर अब्दुल्ला ने कहा कि शुरुआत वहां से हुई यहां से नहीं, अगर वे पहलगाम में हमले नहीं करते तो ये दिन नहीं आता। हमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देना था। पहले हमारे पड़ोसी मुल्क को शांत होना पड़ेगा तब यहां से बंदूके नहीं चलेगी।

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