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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
देशभर में 76वें गणतंत्र दिवस के उत्सवों की धूम है। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो समेत प्रमुख नेताओं की उपस्थिति रही। समारोह में आम जनता और विशेष अतिथियों ने कर्तव्य पथ पर चल रही भव्य झांकियों का आनंद लिया। विपक्षी नेता भी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहे। इन झांकियों में से एक विशेष झांकी थी, जो संविधान से संबंधित थी।
देशभर में 76वें गणतंत्र दिवस के उत्सवों की धूम है। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो समेत प्रमुख नेताओं की उपस्थिति रही। समारोह में आम जनता और विशेष अतिथियों ने कर्तव्य पथ पर चल रही भव्य झांकियों का आनंद लिया। विपक्षी नेता भी दर्शक दीर्घा में मौजूद रहे। इन झांकियों में से एक विशेष झांकी थी, जो संविधान से संबंधित थी।
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#WATCH 76वें गणतंत्र दिवस की परेड में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की 'हमारा संविधान, हमारा गौरव' की झांकी ने कर्त्तव्य पथ पर मार्च किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 26, 2025
(सोर्स: डीडी न्यूज) pic.twitter.com/kd65IoFvxf
संविधान की झांकी में डॉ. आंबेडकर की प्रेरणादायक आवाज
भारत सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा पेश की गई संविधान की झांकी ने सबका ध्यान आकर्षित किया। इस झांकी में अशोक चक्र के साथ समय के पहिये को गतिशीलता का प्रतीक बनाकर दिखाया गया। झांकी से बाबा साहेब डॉ. भीम राव आंबेडकर की आवाज गूंज रही थी। डॉ. आंबेडकर ने कहा, "जहां तक हमारे अंतिम लक्ष्य का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि किसी को भी कोई आशंका होनी चाहिए। हमारी कठिनाई भविष्य को लेकर नहीं है, बल्कि यह है कि हम आज की विविध आबादी को कैसे एकजुट करें और मिलकर एक दिशा में कदम बढ़ाएं, जो हमें एकता की ओर ले जाए। हमारी मुश्किल शुरुआत से जुड़ी है, न कि अंत से।"
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संविधान सभा में डॉ. आंबेडकर का ऐतिहासिक भाषण
दरअसल, यह उद्धरण 17 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. आंबेडकर द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण का हिस्सा है। उन्होंने उस दिन संविधान के उद्देश्य पर अपनी बात रखते हुए कहा था, "हमारा लक्ष्य स्पष्ट है, पर हमारी चुनौती यह है कि हम इस विशाल और विविध जनसंख्या को कैसे एकत्र करें और उसे एक ही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। हमारे सामने सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम शुरुआत कहां से करें, क्योंकि लक्ष्य तो सबको स्पष्ट है।
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