पटना, आईएएनएस। 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के बाद पहली बार राजस्थान के बीकानेर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने गुरुवार को एक सार्वजनिक रैली के दौरान आतंकवादियों को कड़ी चेतावनी देते हुए पाकिस्तान को भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उनके शरीर में खून नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है और 22 अप्रैल का बदला भारत की सेना ने 22 मिनट में लिया। पीएम मोदी के इस बयान पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि इस तरह के संवाद थोड़ा असहज जरूर करते हैं।
घर में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया
मनोज झा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि पहलगाम आतंकी घटना से अब तक हमने जो देखा है, उसे लेकर हमें अपनी भारतीय सेना को सलाम करना चाहिए। भारतीय सेना ने जिस तरह से पराक्रम दिखाते हुए दुश्मनों के घर में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया, आज देशवासियों को सेना पर गर्व है। लेकिन, आज भी लोग पहलगाम आतंकी हमले को याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं। जिन लोगों ने उस आतंकी हमले में अपनों को खोया, उनके जीवन में जो खालीपन आया है, हम चाहकर भी उसे भर नहीं सकते हैं। ऐसे माहौल में पीएम मोदी का "फिल्मी स्टाइल में संवाद" थोड़ा असहज जरूर करता है। मुझे लगता है कि इससे बचना चाहिए।
मनोज झा ने कहा कि पीएम मोदी को किसी को कड़ा संदेश देना चाहिए था तो वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दे सकते थे, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक के सीजफायर का आधार व्यापार को बनाया, जिसके बाद सीजफायर हुआ। पीएम मोदी रैली से ट्रंप को लेकर कुछ कहते तो पूरा देश उनके साथ होता। लेकिन, पीएम मोदी ने एक शब्द भी नहीं कहा। मैंने पहले भी कहा है कि देश में सरकारें आएंगी-जाएंगी, लेकिन देश का मिजाज नहीं बदलना चाहिए।
प्रतिस्पर्धा की भावना लगभग खत्म हो गई
विदेश गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों पर विपक्ष के आरोपों पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि पिछले 10-11 वर्षों में हमारे लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना लगभग खत्म हो गई थी और शत्रुतापूर्ण भाषा आम हो गई थी। यह प्रतिनिधिमंडल एक अच्छा कदम है, लेकिन इसकी संरचना और गठन बेहतर हो सकता था। मैंने बार-बार कहा कि पीएम मोदी सभी राजनीतिक दलों को लेकर एक बार बैठक कर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के बारे में चर्चा करते तो सारा मसला ही हल हो जाता। बता दें कि विपक्षी दलों को आरोप है कि सरकार ने उनकी ओर से भेजे गए नामों को प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं किया। बल्कि, इस दौरान भी सरकार ने अपनी मनमर्जी चलाई।
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