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तमिलनाडु में रुपये के प्रतीक को बदलने का यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर बहस का विषय बन चुका है। निर्मला सीतारमण के बयान ने इसे और बड़ा बना दिया है। अब देखना होगा कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है और सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।
तमिलनाडु में रुपये (₹) के आधिकारिक प्रतीक को बदलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे "खतरनाक मानसिकता" करार दिया है।
क्या है मामला?
हाल ही में तमिलनाडु सरकार से जुड़ी कुछ आधिकारिक दस्तावेजों और प्रचार सामग्री में भारतीय रुपये (₹) के स्थान पर एक अलग प्रतीक का इस्तेमाल किया गया। इस नए प्रतीक में तमिल भाषा का प्रभाव दिखा, जिससे विवाद खड़ा हो गया।
विपक्ष और केंद्र सरकार के नेताओं ने इस पर सवाल उठाए, जिसमें सबसे तीखी प्रतिक्रिया वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की रही। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये का एक निर्धारित प्रतीक है, जिसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।
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निर्मला सीतारमण का कड़ा बयान
वित्त मंत्री ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा-"भारतीय मुद्रा का प्रतीक पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। इसे बदलना न केवल एक अनुचित कदम है, बल्कि यह एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाता है।" उन्होंने आगे यह भी कहा कि संविधान में भारत की एकता और अखंडता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। इस तरह के बदलाव अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं और संघीय ढांचे को कमजोर कर सकते हैं।
भाजपा नेताओं का आरोप
भाजपा नेताओं ने इसे "भाषायी राजनीति" करार देते हुए तमिलनाडु सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि यह एक राष्ट्रीय प्रतीक को बदलने का प्रयास है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
डीएमके का बचाव
तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने इस मुद्दे को बेवजह का विवाद बताया। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह केवल सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने का प्रयास था, न कि किसी प्रकार का अलगाववादी कदम।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग इसे तमिल भाषा और संस्कृति के सम्मान से जोड़ रहे हैं, जबकि अन्य इसे अनावश्यक विवाद बता रहे हैं।
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क्या कहता है कानून?
भारतीय रुपये का आधिकारिक प्रतीक 2010 में सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था। इसे बदलना कानूनी रूप से गलत है और किसी भी राज्य सरकार या संगठन को इसे बदलने का अधिकार नहीं है।
आगे क्या होगा?
वित्त मंत्रालय और केंद्र सरकार इस मामले की गंभीरता से समीक्षा कर रही है। संभव है कि तमिलनाडु सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा जाए और यदि जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।