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विदेश मंत्रीS. Jaishankar का विदेशी राजदूतों से आग्रह, पूर्वोत्तर भारत की खूबियों को पहचानें और साझा करें

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को दुनिया भर के राजदूतों से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने और इसकी विशेषताओं को अपनी-अपनी सरकारों और उद्योग जगत के साथ साझा करने का आह्वान किया।

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Ranjana Sharma
S. Jaishankar
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क: विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने मंगलवार को दुनिया भर के राजदूतों से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने और इसकी विशेषताओं को अपनी-अपनी सरकारों और उद्योग जगत के साथ साझा करने का आह्वान किया। उन्होंने इस क्षेत्र को भारत की प्रमुख विदेश नीतियों और रणनीतिक योजनाओं का महत्वपूर्ण केंद्र बताया। जयशंकर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) द्वारा आयोजित ‘पूर्वोत्तर निवेशक शिखर सम्मेलन 2025’ के लिए आयोजित डिजिटल राजनयिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति, रणनीतिक महत्त्व और आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
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भारत की कूटनीति का रणनीतिक केंद्र

विदेश मंत्री ने कहा क‍ि पूर्वोत्तर क्षेत्र कई प्रमुख नीतियों जैसे ‘पड़ोसी प्रथम’, ‘एक्ट ईस्ट’ और BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) का केंद्र है। यह क्षेत्र भारत के पांच पड़ोसी देशों—भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और चीन—से सीधे जुड़ा है और आसियान देशों से भी निकटता रखता है। उन्होंने बताया कि भारत की कई रणनीतिक परियोजनाएं जैसे त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना और कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट इसी क्षेत्र से होकर गुजरती हैं जो दक्षिण-पूर्व एशिया से कनेक्टिविटी को मजबूती देती हैं।

प्रासंगिकता समय के साथ और बढ़ेगी

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जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार पूर्वोत्तर के विकास को उच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने राजदूतों से अपील की कि वे इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता, जैव विविधता, पर्यटन क्षमता और आर्थिक संभावनाओं को अपने देशों के साथ साझा करें और क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दें। पूर्वोत्तर भारत वैश्विक कार्यस्थल पर्यटन हब और दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में उभर रहा है। बाद में जयशंकर ने इस बैठक की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि पूर्वोत्तर भारत न केवल रणनीतिक रूप से बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय निवेश और सहयोग का मुख्य केंद्र बनेगा।
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