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Satyapal Malik : धारा 370 के फैसले के वक्त थे जम्मू-कश्मीर के LG, अब उसी तारीख को कहा दुनिया को अलविदा!

जम्मू-कश्मीर के पूर्व एलजी सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को निधन हो गया। यह एक गहरा संयोग है कि 6 साल पहले इसी दिन, 5 अगस्त 2019 को, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटी थी, जिसके वे साक्षी थे। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर है।

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Ajit Kumar Pandey
Satyapal Malik : धारा 370 के फैसले के वक्त थे जम्मू-कश्मीर के LG, अब उसी तारीख को कहा दुनिया को अलविदा! | यंग भारत न्यूज

Satyapal Malik : धारा 370 के फैसले के वक्त थे जम्मू-कश्मीर के LG, अब उसी तारीख को कहा दुनिया को अलविदा! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल (LG) सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। इस खबर ने देश को स्तब्ध कर दिया है, लेकिन इससे जुड़ा एक संयोग लोगों का ध्यान खींच रहा है। ठीक 6 साल पहले, 5 अगस्त 2019 को ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाया गया था, और उस वक्त सत्यपाल मलिक ही राज्य के संवैधानिक प्रमुख यानि LG थे। यही तारीख अब उनके जीवन की अंतिम दिन भी बन गई।

जम्मू-कश्मीर के LG के रूप में, सत्यपाल मलिक ने उस ऐतिहासिक फैसले को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि उनका कार्यकाल चुनौतियों और महत्वपूर्ण बदलावों से भरा रहा। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने खुलकर अपनी बात रखी, चाहे वो सरकार के पक्ष में हो या विपक्ष में। उनके निधन ने भारतीय राजनीति में एक खालीपन पैदा कर दिया है।

5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त किया, तब सत्यपाल मलिक राज्य के उपराज्यपाल थे। उस दौरान राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। इस फैसले के बाद, राज्य में कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं, जिससे किसी भी तरह की अशांति को रोका जा सके। मलिक ने इन मुश्किल परिस्थितियों को सफलतापूर्वक संभाला। उन्होंने कई बार अपने बयानों में कहा था कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में है और इससे विकास के नए रास्ते खुलेंगे।

एक बेबाक नेता का सफर

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा रहा है। वे पहले समाजवादी नेता थे, फिर कांग्रेस और बाद में बीजेपी में शामिल हुए। उन्होंने कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, जिनमें बिहार, गोवा और मेघालय शामिल हैं। लेकिन, उनका सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण कार्यकाल जम्मू-कश्मीर में रहा। अपने कार्यकाल के बाद भी वे अक्सर सुर्खियों में रहे, खासकर कृषि कानूनों और पुलवामा हमले को लेकर उनके बेबाक बयानों ने काफी सुर्खियां बटोरीं। उनका निधन एक ऐसे अध्याय का अंत है जिसमें उन्होंने कभी भी अपनी बात कहने से परहेज नहीं किया।

5 अगस्त: एक संयोग या नियति?

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आज 5 अगस्त 2025 को सत्यपाल मलिक के निधन ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 5 अगस्त 2019 को एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला हुआ जिसने जम्मू-कश्मीर की किस्मत बदल दी, और ठीक 6 साल बाद इसी तारीख पर उस फैसले के गवाह रहे सत्यपाल मलिक का निधन हो गया। यह संयोग अपने आप में बेहद खास है। उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक कद्दावर और निर्भीक नेता खो दिया है।

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