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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Supreme Court कोलेजियम ने कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल कैडर में इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की सिफारिश की है, हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन उनकी वापसी का विरोध कर रही है। इलाहाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि जस्टिस यशवंत वर्मा की इलाहाबाद वापसी पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई डस्टबिन थोड़े है। बता दें कि अवध बार एसोसिएशन ने उड़ीसा हाई कोर्ट के एक जज को ट्रांसफर कर इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने पर अपना विरोध दर्ज कराया था।
कॉलेजियम ने केंद्र को भेजी सिफारिश
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की संस्तुति की है। कॉलेजियम ने सोमवार को केंद्र सरकार को जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल कैडर के हिसाब से Allahabad हाई कोर्ट में वापस भेज दिया जाए, बता दें कि जस्टिस वर्मा को वर्ष 2021 में इलाहाबाद से दिल्ली हाई कोर्ट स्थानांतरित किया गया था। कोलेजियम ने यह सिफारिश दूसरी बार किया था, इससे पहले 20 मार्च को भी कॉलेजियम ने ट्रांसफर की सिफारिश की थी।
अवध बार का विरोध, बिना नाम लिए प्रस्ताव पारित
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के बाद अवध बार एसोसिएशन ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज को लखनऊ बेंच में ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया। पिछले हफ्ते एसोसिएशन ने उड़ीसा हाई कोर्ट के एक जज का इलाहाबाद ट्रांसफर होने पर भी आपत्ति जताई थी। हालांकि, बार ने अपने प्रस्ताव में किसी जज का नाम नहीं लिया। अवध बार एसोसिएशन के महासचिव मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि दिल्ली और उड़ीसा हाई कोर्ट से एक-एक जज के इलाहाबाद ट्रांसफर की खबरों के बाद अध्यक्ष आरडी शाही की अध्यक्षता में शनिवार को आपात बैठक हुई।
इलाहाबाद HC बार एसोसिएशन का विरोध
बार एसोसिएशन के प्रस्ताव के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जजों के ट्रांसफर पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। लेकिन यदि उनका स्थानांतरण इलाहाबाद या लखनऊ में होता है, तो बार एसोसिएशन कोर्ट का बहिष्कार करेगी। इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी शुक्रवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया था।
जानिए मामले में अब तक क्या हुआ
Delhi high court के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने 22 मार्च को CJI संजीव खन्ना को जस्टिस वर्मा के घर से कथित तौर पर मिले कैश मामले में रिपोर्ट सौंपी थी। जस्टिस उपाध्याय ने इस मामले में साक्ष्य और जानकारी एकत्रित करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी। अग्निशमन विभाग और पुलिस समेत अन्य अधिकारियों से बात करने के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी।
होली की रात में आग लगने पर हुआ था खुलासा
जिस कैश बरामदगी पर यह बवाल हो रहा, वह घटना 14 मार्च को होली की रात करीब साढ़े 11 बजे की है। उस दिन जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी, हालांकि वह अपने आवास में नहीं थे। आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों को कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी है और उनके इलाहाबाद ट्रांसफर का प्रस्ताव भी दिया गया है। उस समय कोर्ट ने अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि मामले को लेकर गलत सूचना फैलाई जा रही है।