नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट 20 मई को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (amendment in waqf board act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। विशेष रूप से, अदालत इस दिन याचिकाकर्ताओं को दी जा सकने वाली अंतरिम राहत के प्रश्न पर विचार करेगी। विवादित संशोधन को लेकर कई संगठनों और याचिकाकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें आरोप है कि यह अधिनियम संविधान की भावना का उल्लंघन करता है। अब शीर्ष अदालत की इस अहम सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम की सुनवाई पर एडवोकेट वरुण सिन्हा ने कहा, "आज कोर्ट ने पूरे मामले को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया है। यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया गया है कि मंगलवार को होने वाली सुनवाई अंतरिम आदेश पर होगी। दोनों पक्षों को अपनी दलीलें रखने के लिए दो-दो घंटे का समय दिया गया है।
इन पांच याचिकाओं पर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ मामले की सुनवाई के लिए वे पांच लीड याचिकाएं कौन सी होंगी इसका फैसला हो गया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अभी तक बहुत सी याचिकाएं (73 से ज्यादा) दायर हो चुकी हैं और लगातार दायर हो रही हैं। इस कारण लगातार दायर होने वाली याचिकाओं के चलते सुनवाई में दिक्कत हो सकती है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को मिलकर पांच याचिकाएं को चुन लेना चाहिए जो लीड याचिका मानी जाएंगी और मुख्य सुनवाई उन्हीं पर होगी। बाकी याचिकाओं को इंटरवेंशन या इमप्लीडमेंट एप्लीकेशन माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा देर रात जारी ऑर्डर में जिन पांच याचिकाओं का जिक्र किया गया है, वे इस तरह हैं:
- अरशद मदनी
- मुहम्मद जमील मर्चेंट.
- मुहम्मद फजलुररहीम
- शेख नूरुल हसन
- असदुद्दीन ओवैसी।
सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने एक्ट के कुछ प्रावधानों पर लगाया था स्टे
ध्यान रहे कि जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने वक्फ संशोधन एक्ट, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई की थी। बेंच में जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल थे। सीजेआई ने शुरुआती चरण में ही सरकार के उस फैसले पर आपत्ति जताई जिसमें वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान किया गया था। उनकी आपत्ति संशोधन के उस प्रावधान को लेकर भी थी जिसमें कलेक्टरों को असीमित अधिकार सरकार ने दिए थे। संजीव खन्ना ने सरकार की पैरवी कर रहे सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से इन दोनों प्रावधानों पर नाराजगी जताते हुए स्टे लगा दिया था।
BJP के निशिकांत दुबे ने सीजेआई पर बोला था सीधा हमला
सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी को उनका ये फैसला किस कदर नागवार गुजरा कि निशिकांत दुबे जैसे दिग्गज नेता ने संजीव खन्ना पर तानाशाही का आरोप जड़ दिया। वो यहीं पर नहीं रुके उनका कहना था कि देश में तेजी से फैल रहे सांप्रदायिक तनाव के लिए सीजेआई ही जिम्मेदार हैं। चीफ जस्टिस आफ इंडिया पर आरोपों को लेकर निशिकांत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इस याचिका पर सुनवाई के लिए सीजेआई ने रजामंदी दी थी।
श्री नारायण मानव धाम ट्रस्ट ने भी किया एक्ट का विरोध
केरल के हिंदू संगठन श्री नारायण मानव धाम ट्रस्ट की तरफ से उनके वकील ने Intervention एप्लीकेशन दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में साफ कर दिया था कि इस मामले में अब और याचिकाएं स्वीकृत नहीं की जाएंगी। अगर किसी को एक्ट से आपत्ति है तो वो Intervention एप्लीकेशन के जरिये अपनी बात अदालत के समक्ष रख सकता है। श्री नारायण मानव धाम ट्रस्ट की स्थापना 2023 में हुई थी। ट्रस्ट का उद्देश्य संत श्री नारायण गुरु के विचारों का अध्ययन करने के साथ इन्हें लोगों तक पहुंचाना है।