Supreme Court ने बुधवार को
Justice yashwant verma से संबंधित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिका में
Delhi high court के न्यायाधीश के सरकारी आवास से अधजली नकदी मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना (
CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ से याचिका को तुरंत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। याचिका की तत्काल सुनवाई के लिए अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि मामला व्यापक जनहित से जुड़ा है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया।
तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था
उधर,दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। सीजेआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच का आदेश दिया और उनसे जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को यह रिपोर्ट सौंप दी गई।
ये थे जांच समिति में
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन को जांच समिति का सदस्य बनाया गया है। शीर्ष अदालत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं। फिलहाल यह जांच समिति मामले की जांच कर रही है। समिति जज के बंगले पर नियुक्त स्टाफ से भी बात करेंगे।
14 मार्च को लगी थी दिल्ली स्थित आवास में आग
बता दें, 14 मार्च की रात वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने के बाद दमकल कर्मियों को नकदी मिली थी। घटना के समय वर्मा घर पर नहीं थे। मुख्य न्यायाधीश ने आंतरिक जांच कर साक्ष्य और जानकारी जुटाई। अब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम रिपोर्ट की जांच करेगा, जिसके बाद वर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।