नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में आज बड़ा फैसला सुनाते हुए तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की संप्रभुता से जुड़ी है, इसलिए इसका खुलासा नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा, यह सड़कों पर बहस का विषय नहीं बन सकता।
'रिपोर्ट सार्वजनिक चर्चा का दस्तावेज नहीं हो सकती'
पेगासस जासूसी मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि यह देश की संप्रभुता से जुड़ा मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक चर्चा का दस्तावेज नहीं हो सकती, हालांकि व्यक्तिगत चिंताओं पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा, यह भी जांचने की आवश्यकता होगी कि रिपोर्ट किस हद तक प्रभावित व्यक्तियों के साथ साझा की जा सकती है। पेगासस स्पाइवेयर के कथित अनधिकृत इस्तेमाल की जांच को लेकर दायर याचिकाओं पर अब अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
क्या है पेगासस?
पेगासस एक उन्नत इजरायली स्पाइवेयर है, जिसे NSO ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। यह किसी स्मार्टफोन को हैक कर उसकी सूचनाएं हासिल करने में सक्षम है। इसमें कॉल लॉग, टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, लोकेशन डेटा, यहां तक कि मोबाइल ऐप्स की जानकारी तक पहुंच संभव है। पेगासस विवाद तब सामने आया जब एमनेस्टी इंटरनेशनल और सिटीजन लैब जैसे संगठनों ने आरोप लगाया कि विभिन्न देशों की सरकारें इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर पत्रकारों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अन्य प्रमुख हस्तियों की निगरानी के लिए कर रही हैं। इन आरोपों में यह दावा किया गया कि इसका इस्तेमाल निजी जानकारी चुराने और नागरिकों की निजता पर हमला करने के लिए किया गया है।
भारत में पेगासस का मामला
भारत में यह मामला तब उछला जब रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि कई पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए हैं। इन आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान लिया और एक स्वतंत्र तकनीकी पैनल का गठन कर जांच के आदेश दिए। मामला अभी भी विचाराधीन है।
कैसे करता है पेगासस जासूसी?
पेगासस आमतौर पर एक दुर्भावनापूर्ण लिंक या मैसेज के जरिए डिवाइस को संक्रमित करता है। एक बार डिवाइस संक्रमित हो जाए, तो स्पाइवेयर बैकग्राउंड में सक्रिय होकर यूजर की जानकारी चुपचाप सर्वर पर भेजता रहता है, जिससे यूजर को भनक तक नहीं लगती।