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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
दिल्ली-एनसीआर समते देश के कई राज्यों में आज भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के अनुसार, एक भूकंप ने नई दिल्ली को हिलाया, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.0 मापी गई। इसका केंद्र जमीन से महज पांच किलोमीटर की गहराई पर, 28.59 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 77.16 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित था। भूकंप की कम गहराई और इसका केंद्र दिल्ली में होने के कारण, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में इसका अधिक प्रभाव महसूस किया गया। काफी समय बाद भूकंप का केंद्र दिल्ली में आया, जिससे यहां के लोगों को काफी देर तक झटके महसूस हुए।
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ये है सबसे संवेदनशील इलाका
राजधानी दिल्ली भूकंप के जोन 4 में आती है। ऐसे में यहां भूकंप की 7 तीव्रता से ज्यादा हो सकती है, जिससे ज्यादा तबाही हो सकती है। एनसीआर हिमालयी के नजदीक है,इस वजह से भी यहां भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। राजधानी में आबादी भी बेहद घनी है, जो भूकंप के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। कुछ साल पहले आई एक रिपोट के मुताबिक दिल्ली में आधे से ज्यादा इमारतें भूकंप के लिहाज से नहीं बनाई गई हैं। ऐसे में 7 की तीव्रता वाला भूकंप आने पर जान-माल को नुकसान पहंच सकता है। भूकंप के लिहाज से देश को 4 सिस्मिक जोन में बांटा गया है। इसमे जोन 2, जोन 3, जोन 4 और जोन 5 हैं। दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र जोन 4 मे शामिल है। वहीं जोन 5 में आने वाले इलाकों को सबसे संवेदनशील माना जाता है।
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लाखों लोग महाभूकंप से मरेंगे
दिल्ली एनसीआर में आए भूंकप के बीच वैज्ञानिकों का एक दावा काफी सुर्खियों में बना है। वैज्ञानिकों ने दुनिया के एक हिस्से में महाभूकंप का दावा किया है। जिसमें कहा गया है कि इस्तांबुल में लाखों लोग महाभूकंप से मरेंगे। बता दें ग्रीस के तट पर एक के बाद भूकंप के झटकों से भय का माहौल है। वैज्ञानिकों ने ग्रीस के द्वीप सेंटोरिनी के पास सिर्फ दो हफ्तों में ही लगभग 8000 भूकंपों का पता लगया है। बता दें सेंटोरिनी में आपातकाल की स्थिति घोषित की है। दुनिया के भूकंप वाले सबसे संवेदनशील देशों का अध्ययन जारी है। जिसको लेकर डराने वाले दावे किए गए है।
आने वाली है बड़ी आपदा
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के वैज्ञानिक मार्को बोहनहोफ ने मीडिया को बताया कि भूकंपीय रिकॉर्ड के मुताबिक इस्तांबुल में लगभग हर 250 साल में बड़े भूकंप आते हैं। आखिरी बार 1766 में तबाही वाला भूकंप आया था, जिसका मतलब है कि यह क्षेत्र पहले ही एक और शक्तिशाली भूकंप के लिए अपेक्षित समय सीमा को पार कर चुका है। भूवैज्ञानिक मॉडलों के डेटा के आधार पर "अगले कुछ दशकों में एक बड़े भूकंप की संभावना 80 प्रतिशत है।"इस्तांबुल में 100,000 इमारतों के बड़े भूकंप में ढहने का बड़ा खतरा है। गोरूर ने कहा, "लाखों लोग मारे जाएंगे। बड़ी तबाही आने वाली है।"
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