Sharmistha Panoli की गिरफ्तारी पर सवाल, कोलकाता पुलिस को घेर रहे कानून के जानकार
एडवोकेट कल्पना श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर कोलकाता पुलिस की कार्रवाई को लेकर उठाए कानूनी सवाल। BNSS 2023 की धारा 43(4) के तहत कार्रवाई की वैधता पर बहस तेज।
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Influencer Sharmishtha Panauli: कोलकाता पुलिस द्वारा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के बाद कानूनी बहस भी तेज हो गई है। प्रसिद्ध अधिवक्ता कल्पना श्रीवास्तव ने एक बयान जारी कर कोलकाता पुलिस की कार्रवाई की वैधानिकता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की नई नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 43(4) के अनुसार, किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले बिना न्यायिक अनुमति और महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
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“अदालती वारंट महिला सुरक्षा प्रावधान को निरस्त नहीं करता”
एडवोकेट कल्पना श्रीवास्तव ने कोलकाता पुलिस की उस दलील को चुनौती दी है जिसमें कहा गया था कि गिरफ्तारी एक सक्षम अदालत द्वारा जारी वॉरंट के तहत की गई और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।उन्होंने स्पष्ट किया किए“एक अदालती वॉरंट भी महिला अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनी सुरक्षा प्रावधानों को नहीं नकार सकता। रात के समय गिरफ्तारी के लिए मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति और महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है।”
क्या BNSS का उल्लंघन हुआ है?
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एडवोकेट श्रीवास्तव ने सवाल उठाया है किक्या गिरफ्तारी रात में हुई?क्या मजिस्ट्रेट से अनुमति ली गई थी?क्या महिला पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद थीं?उन्होंने मांग की कि इन पहलुओं की गहन जांच की जाए और यदि किसी भी प्रकार की प्रक्रियात्मक चूक सामने आती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
Photograph: (Google)
मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय और पुलिस का पक्ष
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हालांकि, फरवरी 2025 में मद्रास उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा था कि BNSS की धारा 43(5) केवल निर्देशात्मक है, अनिवार्य नहीं। यानी, असाधारण परिस्थितियों में पुलिस बिना मजिस्ट्रेट अनुमति भी गिरफ्तारी कर सकती है, लेकिन इसके लिए उचित औचित्य देना होगा।
कोलकाता पुलिस का जवाब भी जानिए
कोलकाता पुलिस ने भी अपने आधिकारिक बयान में कहा है- “Garden Reach Police Case No. 136/15.05.2025 में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। आरोपी को बार-बार नोटिस देने का प्रयास किया गया, लेकिन वह फरार पाई गईं। इसके बाद अदालती वारंट जारी होने पर उसे गुरुग्राम से कानूनी रूप से गिरफ्तार किया गया।”
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