नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पहलगाम आतंकी हमले के बाद और फिर सर्वदलीय डेलीगेशन का नेतृत्व करने के दौरान चर्चा में रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी से नाराजगी की बात कबूली है। बता दें कि इस दौरान शशि थरूर भाजपा सरकार की पैरवी करने के आरोप के चलते कांग्रेसियों के निशाने पर आ गए थे, हालांकि उन्होंने अमेरिका में ऑल पार्टी डेलीगेशन का नेतृत्व करते हुए जो कहा और किया, वह भारत के प्रतिनिधि के रूप में था। गुरुवार को कांग्रेस सांसद ने केरल में मीडिया से बातचीत के दौरान माना कि पार्टी नेतृत्व के कुछ सदस्यों के साथ उनके विचारों में मतभेद हैं, लेकिन उन्होंने यह भी साफ नहीं किया कि किससे और किस बात पर मतभेद है। इस बात का खुलासा करने के लिए उन्होंने नीलांबुर उपचुनाव के बाद का समय देते हुए बात टाल दी। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान इस तरह की बात सार्वजनिक करना ठीक नहीं है।
बोले- कांग्रेस, उसके सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध
मीडिया से बातचीत में थरूर ने कहा- मैं कांग्रेस पार्टी, उसके सिद्धांतों और कार्यकर्ताओं के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। मैं पिछले 16 वर्षों से पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ काम कर रहा हूं और उन्हें अपना मित्र और भाई मानता हूं।" उन्होंने यह भी कहा, "हां, कुछ पार्टी नेताओं के साथ मेरे मतभेद हैं। आप (मीडिया) जानते हैं कि मैं किन मुद्दों की बात कर रहा हूं, क्योंकि कुछ बातें पहले से ही सार्वजनिक हो चुकी हैं।"
किससे है मतभेद, नहीं किया खुलासा
शशि थरूर ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनके मतभेद राज्य स्तर पर हैं या राष्ट्रीय नेतृत्व से। उन्होंने संकेत दिया कि उपचुनाव के नतीजों के बाद वे इन मुद्दों पर खुलकर बात कर सकते हैं। जब थरूर से पूछा गया कि वे नीलांबुर उपचुनाव प्रचार में शामिल क्यों नहीं हुए, तो उन्होंने कहा, "जैसे वायनाड उपचुनाव में मुझे आमंत्रित नहीं किया गया था, वैसे ही इस बार भी नहीं बुलाया गया। मैं वहां नहीं जाता जहां मुझे बुलाया नहीं जाता।" हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का परिश्रम रंग लाए और नीलांबुर से UDF उम्मीदवार जीत हासिल करे। बता दें केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट समेत चार राज्यों की पांच सीटों पर उपचुनाव के लिए आज मतदान हो गया। 23 जून को मतगणन होगी।
पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर दी सफाई
थरूर ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि यह चर्चा ऑपरेशन सिंदूर के तहत विभिन्न देशों में भेजे गए संसदीय प्रतिनिधिमंडलों से संबंधित थी, और इसमें राजनीतिक मुद्दों का कोई लेना-देना नहीं था। हालांकि कांग्रेस नेताओं से मतभेद की बात कहकर शशि थरूर ने यह इशारा जरूर कर दिया है कि उनकी नेतृत्व से शिकायत है और वह भी गांधी परिवार से। हालांकि इस बारे में उन्होंने अभी खुलकर कुछ नहीं बोला।