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टीचर को देख सहम गए थे Shubhanshu Shukla, सर ने सुनाया किस्सा जो बना टर्निंग प्वाइंट

AXIOM-4 मिशन पर गए अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है। शुभांशु के टीचर ने उनके जीवन के दिलचस्प किस्से सुनाए और बताया कि कौन सा पल शुभांशु के जीवन का टर्निंग पॉइंट बना।

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Pratiksha Parashar
shubhanshu shukla teacher
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लखनऊ, आईएएनएस। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) की अलीगंज ब्रांच के छात्र रहे शुभांशु शुक्ला ने अपनी मेहनत, लगन और शिक्षकों के मार्गदर्शन से अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छू लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए चुने गए शुभांशु की कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहता है। उनके शिक्षक नागेश्वर प्रसाद शुक्ला ने समाचार एजेंसी IANS से बातचीत में शुभांशु के स्कूली जीवन, उनकी मेहनत और आत्मविश्वास के विकास की कहानी साझा की। 

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शिक्षक ने बताया शुभांशु का स्वभाव

शुभांशु शुक्ला को पढ़ा चुके शिक्षक नागेश्वर प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि शुभांशु शुरू से ही शर्मीले स्वभाव के थे। कक्षा में वे चुपचाप बैठकर पढ़ाई करते थे, लेकिन खेल, खासकर फुटबॉल, में उनकी गहरी रुचि थी। स्कूल में दो घंटे फुटबॉल खेलने के बाद भी उनकी ऊर्जा कम नहीं होती थी। हालांकि, पढ़ाई में उनकी शुरुआती रुचि उतनी नहीं थी।

खेल की ओर रहता था ज्यादा ध्यान

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सर को वो किस्सा अब भी याद है, जब शुभांशु के घर गए थे। कहते हैं, "शुभांशु का ध्यान खेल की ओर ज्यादा रहता था। जब हम उनके घर गए, तो वह मेरी बाइक देखकर सहम गया, उसे लगा कि आज तो क्लास लगेगी। लेकिन हमने उसे और उसके माता-पिता को समझाया कि पढ़ाई और खेल में संतुलन जरूरी है।" टीचर-गार्जियनशिप योजना का प्रभाव शुभांशु के स्कूल में एक विशेष शिक्षक-संरक्षक (टीचर-गार्जियन) योजना थी, जिसके तहत शिक्षकों को हर महीने पांच बच्चों के घर जाकर उनके माता-पिता से मुलाकात करनी होती थी। इस योजना का उद्देश्य बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और रुचियों को समझना और उन्हें बेहतर मार्गदर्शन देना था। इसी के तहत शुभांशु के माता-पिता से मिले। 

ऐसे पढ़ाई प्रति गंभीर हुए शुभांशु

शिक्षक नागेश्वर प्रसाद शुक्ला ने बताया, "हमने शुभांशु के सामने ही उसके अंक और कमजोरियों पर बात की। इससे उसे अपनी कमियों का अहसास हुआ और वह पढ़ाई के प्रति गंभीर हुआ।" शिक्षक ने शुभांशु से खुलकर बात की, भरोसा दिलाया कि टीचर्स उनका पूरा साथ देंगे। इसके साथ ही शुभांशु ने भी वादा किया कि वो लगन से पढ़ाई करेंगे। इस मुलाकात के बाद शुभांशु में बदलाव भी आया। बोर्ड परीक्षाओं से पहले हुए प्री-बोर्ड एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन किया।

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ऐन वक्त पर करते थे पढ़ाई 

नागेश्वर ने उनके डेडिकेशन को इसकी बड़ी वजह बताया। उन्होंने कहा, "वह हमेशा टॉप 10 में रहता था, लेकिन आलस्य के कारण आखिरी समय में पढ़ाई करता था। हमने उसे समझाया कि मेहनत और समय प्रबंधन जरूरी है।"

गणित में बहुत अच्छे थे

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शुभांशु गणित में बहुत अच्छे थे। नागेश्वर के अनुसार, "गणित के कॉन्सेप्ट बहुत स्पष्ट थे। शुभांशु का सपना राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में जाने का था। वह शुरू से ही जानता था कि उसे देश की सेवा करनी है। उसने हमें बताया था कि उसकी प्राथमिकता वायुसेना में जाना है। उसका आत्मविश्वास और स्पष्ट लक्ष्य देखकर हमें यकीन था कि वह जरूर कुछ बड़ा करेगा।"

टीचर को गर्व है

अपने छात्र की उपलब्धि पर शिक्षक नागेश्वर को गर्व है। कहते हैं, "जब शुभांशु का चयन हुआ, तो उन्होंने स्कूल और परिवार को इसकी जानकारी दी, लेकिन गोपनीयता के कारण इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। जब प्रधानमंत्री जी ने इसरो के मिशन की घोषणा की, तब पूरी दुनिया को पता चला। हमें पहले से पता था, लेकिन उसकी उपलब्धि पर गर्व हुआ।"

शुभांशु में अब जमीन-आसमान का अंतर

शिक्षक के मुताबिक, "22 साल पहले वाले और आज के शुभांशु में जमीन-आसमान का अंतर है। उसका आत्मविश्वास देखकर लगता है कि वह कोई और ही इंसान है। उसने खुद को इतना निखारा है कि आज वह देश के लिए एक मिसाल है।" एक गुरु के लिए अपने शिष्य को आगे बढ़ते देखना हर्ष का पल होता है। सर नागेश्वर के लिए भी। कहते हैं, "शिक्षक का काम सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि बच्चे को समझना और उसका आत्मविश्वास बढ़ाना भी है। शुभांशु की सफलता में हमारा भी योगदान है, और हमें इस पर गर्व है।" Shubhanshu Shukla 

Shubhanshu Shukla
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