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किसी ने लिया वोट का हक तो कोई बन बैठा था सरकारी मुलाज़िम... कैसे फेल हुआ India का सिस्टम!

देशभर से ऐसे मामलों की परतें खुलने लगी हैं, जहां पाकिस्तानी नागरिक न केवल भारत में वर्षों से रह रहे थे, बल्कि उन्होंने यहां की नागरिकता से जुड़ी सुविधाएं भी हासिल कर ली थीं।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटकर्व: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद देशभर से ऐसे मामलों की परतें खुलने लगी हैं, जहां पाकिस्तानी नागरिक न केवल भारत में वर्षों से रह रहे थे, बल्कि उन्होंने यहां की नागरिकता से जुड़ी सुविधाएं भी हासिल कर ली थीं। कुछ ने वोटर आईडी और आधार कार्ड तक बनवा लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया और सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कुछ लोग तो सरकारी नौकरी तक हासिल करने में कामयाब हो गए।

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सिस्टम में गहरी सेंध

यह मामला सामने आने के बाद देश की सुरक्षा और प्रशासनिक प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। भारत में किसी विदेशी नागरिक के इतने वर्षों तक बिना वैध दस्तावेज के रहना और फिर सरकारी मुलाजिम बन जाना गंभीर चिंता का विषय है। यह घटना यह दर्शाती है कि स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और बीएलओ जैसे अधिकारियों ने समय रहते इन मामलों की जांच नहीं की या फिर इनकी जानकारी होते हुए भी नजरअंदाज कर दिया गया।

17 साल से भारत में रह रहा था पाकिस्तानी नागरिक

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अटारी बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान वापस लौटने वाले ओसामा नाम के एक पाकिस्तानी नागरिक ने बताया कि वह पिछले 17 वर्षों से भारत में रह रहा था। उसने कहा क‍ि "मैंने यहां 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की अभी स्नातक कर रहा हूँ। मेरे पास वोटर आईडी और राशन कार्ड है। मैंने यहां वोट भी डाला है। मैं भारत में नौकरी की तैयारी कर रहा था। मैं सरकार से अपील करता हूं कि हमें कुछ समय दिया जाए। वहां मेरा कोई भविष्य नहीं है। जून में मेरे एक्‍जाम हैं ऐसे में अब में कैसे एक्‍जाम दे पाऊंगा। मैं यही रहकर नौकरी करना चाह रहा था। ओसामा ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह एक शर्मनाक और निंदनीय कृत्य है, लेकिन सभी लोगों को उसकी सजा देना उचित नहीं।

फर्जी दस्तावेजों पर पाकिस्तानी महिला ने हासि‍ल की सरकारी नौकरी

जहां एक ओर देशभर में पाकिस्तान से आए नागरिकों को उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के बरेली में एक पाकिस्तानी महिला प्रशासन की पकड़ से बाहर है। शुमायला खान नाम की यह महिला पिछले तीन महीने से फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है। बरेली के फतेहगंज पश्चिमी थाने में तीन महीने पहले बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शुमायला खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। महिला पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए भारत में सरकारी शिक्षक की नौकरी हासिल की थी। पुलिस ने बरेली से लेकर रामपुर तक कई जगह दबिशें दी हैं, लेकिन अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है

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2015 से कर रही थी शिक्षक की नौकरी

जांच में सामने आया है कि शुमायला खान पाकिस्तान की नागरिक है, लेकिन उसने रामपुर में रहते हुए फर्जी तरीके से भारत का मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाया और अपनी नागरिकता छुपाकर सहायक शिक्षक पद पर नौकरी हासिल कर ली। वर्ष 2015 में उसे फतेहगंज पश्चिमी के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात किया गया था। बाद में जब मामले की गोपनीय जांच कराई गई तो उसके निवास प्रमाण पत्र को रामपुर सदर के एसडीएम ने अमान्य घोषित कर दिया। इसके बाद शुमायला खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन वह तभी से फरार है।

प्रशासन के लिए बड़ा सवाल

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यह मामला न सिर्फ सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि एक विदेशी नागरिक इतने वर्षों तक कैसे सरकारी नौकरी में बनी रही और किसी को भनक तक नहीं लगी। अब पुलिस महिला की तलाश कर रही है, लेकिन तीन महीने बाद भी उसका कोई ठिकाना सामने नहीं आया है।

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