नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क | उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा से आग्रह किया कि वे आपस में चल रहे मानहानि के मामले को अदालत के बाहर सुलझाने का प्रयास करें। यह मामला उस समय उठा जब कांग्रेस नेता तन्खा ने भाजपा नेता चौहान के खिलाफ राजनीतिक लाभ के लिए झूठा और अपमानजनक प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया। तन्खा का कहना है कि चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने उन पर 2021 के पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विरोध करने का झूठा आरोप लगाया, जिससे उनकी सार्वजनिक छवि को क्षति पहुंची।
समाप्त करें और आपस में सुलझा लें
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने चौहान के वकील महेश जेठमलानी और तन्खा के वकील कपिल सिब्बल से कहा, "कृपया हमें यह मामला सुनने को न कहें। इसे समाप्त करें और आपस में सुलझा लें।"
पीठ ने दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए समाधान निकालने की सलाह दी। सिब्बल ने कहा कि अगर चौहान खेद प्रकट करते हैं, तो वह मामले का निपटारा करने को तैयार हैं। इस पर जेठमलानी ने जवाब दिया, "अगर कोई गलती नहीं है तो खेद क्यों व्यक्त किया जाए?" हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे सिब्बल के साथ बैठक कर चर्चा करने को तैयार हैं।
चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी
कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई और पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 मई की तारीख तय की। साथ ही, सिब्बल के इस बयान को भी दर्ज किया गया कि तन्खा, निचली अदालत में चौहान की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की याचिका का विरोध नहीं करेंगे। गौरतलब है कि 25 अक्टूबर 2023 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।