नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन की हत्या से जुड़े एक अहम मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व महासचिव अब्दुल साथर को सशर्त जमानत दे दी है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि “विचारधारा के कारण किसी को जेल में नहीं रखा जा सकता, लेकिन आजकल ऐसा ट्रेंड बन गया है।”
जानिए एनआईए ने कोर्ट में क्या कहा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से पेश वकील ने Supreme Court को बताया कि साथर का नाम हत्या की मुख्य FIR में नहीं है, लेकिन उन्होंने पीएफआई के कैडर की भर्ती और उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने में भूमिका निभाई है। साथर के खिलाफ कुल 71 मामले दर्ज हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत सात और धारा 153 के तहत तीन मामले शामिल हैं।
जानिए जजों की अहम टिप्पणियां
जस्टिस ओका ने कहा, “यह दृष्टिकोण ही समस्या है कि हमें किसी व्यक्ति को जेल में रखना है।” वहीं जस्टिस भुइयां ने कहा, “अब प्रक्रिया ही सजा बन गई है।” अदालत ने यह भी पूछा कि क्या साथर सीधे हत्या में शामिल थे या साजिश में उनकी कोई विशिष्ट भूमिका थी। वकील ने जवाब में कहा कि श्रीनिवासन की तस्वीरें साथर के मोबाइल में पाई गई थीं और वह निर्णय लेने वालों में शामिल थे।
केरल के पलक्क्ड़ में हुई थी हत्या
श्रीनिवासन की हत्या 16 अप्रैल, 2022 को केरल के पलक्कड़ जिले में की गई थी। मामले में 51 आरोपी बनाए गए, जिनमें कई अभी भी फरार हैं। चार्जशीट जुलाई और दिसंबर 2022 में दाखिल की गई थी। केरल हाई कोर्ट पहले ही 17 पीएफआई सदस्यों को सशर्त जमानत दे चुका है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरोपी GPS ट्रैकिंग के साथ अपना मोबाइल चालू और चार्ज रखेंगे, राज्य से बाहर नहीं जाएंगे और पासपोर्ट जमा कराएंगे।
PFI के बारे में भी जानिए
PFI की स्थापना 2007 में तीन संगठनों (केरल के नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु की मनिथा नीति पासराई)के विलय से हुई थी। इसकी घोषणा 16 फरवरी 2007 को बेंगलुरु में ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के दौरान की गई थी।