नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को दहेज के लिए पत्नी की हत्या के मामले के एक दोषी को आत्मसमर्पण की छूट देने से इनकार कर दिया। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भाग लेने से आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है। जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
पत्नी की हत्या का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने आरोपी बलजिंदर सिंह की सजा को बरकरार रखा था। बलजिंदर सिंह पर अपनी पत्नी की दहेज के लिए हत्या करने का आरोप है।
वकील की दलील पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
बलजिंदर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने तर्क दिया कि वह बीते 20 वर्षों से राष्ट्रीय राइफल्स में ब्लैक कैट कमांडो के रूप में कार्यरत हैं और 'ऑपरेशन सिंदूर' में भी हिस्सा ले चुके हैं। इस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "इससे यह जरूर पता चलता है कि आप कितने फिट हैं और अकेले अपनी पत्नी की हत्या करने में सक्षम हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको ।" कोर्ट ने कहा कि जब किसी को गंभीर अपराध में दोषी ठहराया गया हो, तो ऐसे मामलों में कोई विशेष छूट नहीं दी जा सकती। हालांकि, अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है और छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला अमृतसर का है, जहां बलजिंदर सिंह की पत्नी की शादी के महज दो साल के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। जुलाई 2004 में निचली अदालत ने बलजिंदर को IPC की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत दोषी ठहराया था। पुलिस जांच में सामने आया कि विवाह के बाद महिला को दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले के लिए खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। supreme court | Operation Sindoor | Dowry Case