नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बेंगलुरु के बीच विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलुरु के पक्ष में फैसला सुनाया है। हरे कृष्ण हिल मंदिर इस्कॉन बेंगलुरु के नियंत्रण में रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन मुंबई के अधिकारों के दावे को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा, जिसने इस्कॉन मुंबई के अधिकारों को खारिज करते हुए कहा कि इस्कॉन बेंगलुरु इस्कॉन मुंबई की शाखा नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र संगठन है।
विवाद 25 साल पहले शुरू हुआ
इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बेंगलुरु के बीच विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलुरु के पक्ष में फैसला सुनाया है। अधिवक्ता विकास सिंह जांगड़ा कहते हैं, "आज कई वर्षों के बाद एक उल्लेखनीय और ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। इस विशेष मुद्दे को हल करने में लगभग 26 वर्षों का समर्पित प्रयास लगा था।"इस्कॉन बेंगलुरु के चेयरमैन मधु पंडित दास कहते हैं, "यह विवाद 25 साल पहले शुरू हुआ था, जब केवल श्रील प्रभुपाद को अपना गुरु मानने वाले लोग बेंगलुरु मंदिर में घुस गए थे, जबकि दूसरा समूह मुंबई में इस्कॉन कैंप में चला गया था। उन्होंने योजना बनाई कि हमें बेंगलुरु मंदिर से कैसे निकाला जाए।"
क्या था विवाद का कारण
इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बैंगलोरके बीच वर्षों से चल रहे विवाद की जड़ उस दावे में है, जिसमें इस्कॉन मुंबई का कहना था कि इस्कॉन बैंगलोर सिर्फ उसकी एक शाखा (ब्रांच) है। इस आधार पर मुंबई संस्था का दावा था कि बैंगलोर स्थित मंदिर समेत सभी संबंधित संपत्तियां उनके अधिकार क्षेत्र में आती हैं।वहीं, इस्कॉन बैंगलोर ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि वह कई दशकों से स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही है और बैंगलोर मंदिर का प्रबंधन किसी अन्य संस्था के अंतर्गत नहीं आता।
अब तक क्या हुआ इस केस में?
2009: निचली अदालत ने इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने साफ किया कि इस्कॉन बैंगलोर, इस्कॉन मुंबई की शाखा नहीं है, बल्कि एक स्वतंत्र संस्था है।
2011: कर्नाटक हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इस्कॉन मुंबई को मंदिर का नियंत्रण सौंप दिया। इसके खिलाफ इस्कॉन बैंगलोर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।
2025: अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के 2011 के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने इस्कॉन बैंगलोर की याचिका स्वीकार करते हुए उसे स्वतंत्र संस्था माना है, यानी अब बैंगलोर मंदिर पर नियंत्रण फिर से इस्कॉन बैंगलोर के पास रहेगा।
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