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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। न्यायालय पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी को लेकर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने मानवाधिकारों के हनन पर रोक लगाने के लिए साल 2018 में पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था।
वर्ष 2025 में पुलिस हिरासत में करीब 11 मौतें हुई
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ सोमवार को इस मामले पर सुनवाई कर सकती है। पीठ ने चार सितंबर को मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था, “...हम ‘पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी’ शीर्षक से एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दे रहे हैं, क्योंकि ऐसी खबरें आई हैं कि साल 2025 के शुरुआती सात-आठ महीनों में पुलिस हिरासत में करीब 11 मौतें हुई हैं।”
ED, CBI समेत सभी एजेंसियों को दिया था निर्देश
दिसंबर 2020 में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) सहित अन्य जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर पुलिस थाने में सभी प्रवेश और निकास द्वारों, मुख्य द्वार, हवालात, गलियारों, लॉबी और स्वागत कक्षों के साथ-साथ बाहर के क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि कोई भी हिस्सा अछूता न रह जाए।
सीसीटीवी प्रणाली ‘नाइट विजन’ से लैस हो
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि सीसीटीवी प्रणाली ‘नाइट विजन’ से लैस होनी चाहिए और इसमें वीडियो के साथ-साथ ऑडियो रिकॉर्ड करने भी सुविधा होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा था कि केंद्र, राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों के लिए ऐसी प्रणालियां खरीदना अनिवार्य होगा, जो कम से कम एक साल के लिए डेटा सहेजने की सुविधा प्रदान करें। civil court | court decision | supreme court