Advertisment

वक्त पर न्याय मिले...फैसला नहीं सुनाने पर Supreme Court ने Jharkhand HC को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों का फैसला सुनाने में हो रही देरी चिंताजनक बताया और कहा कि ऐसी स्थिति को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट को फटकार लगाई है।

author-image
Pratiksha Parashar
supreme court
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) को फटकार लगाई है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने 67 आपराधिक मामलों में फैसला सुरक्षित रखे जाने के बावजूद अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया है, जिस पर हैरानी जताते हुए शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों का फैसला सुनाने में हो रही देरी चिंताजनक बताया और कहा कि ऐसी स्थिति को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि वक्त पर न्याय मिले, इसके लिए हमें कुछ जरूरी दिशा-निर्देश तय करने होंगे। ऐसा चलता नहीं रह सकता है।

सभी उच्च न्यायालयों से मांगी रिपोर्ट

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सभी उच्च न्यायालयों से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जिन मामलों में 31 जनवरी 2025 या उससे पहले फैसला सुरक्षित रखा गया है, लेकिन अब तक फैसला नहीं सुनाया गया, उनकी जानकारी चार हफ्तों के भीतर दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह इस मामले में कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी करेगा ताकि भविष्य में ऐसी देरी न हो। पीठ ने साफ कहा कि, ऐसी स्थिति को अनुमति नहीं दी जा सकती।

आदेश सुरक्षित, लेकिन नहीं सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह निर्देश पारित किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक खंडपीठ द्वारा सुनी गई 56 आपराधिक अपीलों में आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एकल पीठ के न्यायाधीश के समक्ष आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद 11 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया गया है। 

आजीवन कारावास की दोषियों पर सुनाया फरमान

सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सजा पाने वाले चार दोषियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में दावा किया गया था कि झारखंड ने 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन फैसला नहीं सुनाया, जिसके कारण वे सजा में छूट का लाभ लेने में सक्षम नहीं थे।

supreme court | jharkhand news | court decision 

court decision jharkhand news supreme court
Advertisment
Advertisment