नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
Republic Day 2025: कर्तव्य पथ पर जब गणतंत्र दिवस 2025 की परेड शुरू हुई, तो देश की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं उत्तर प्रदेश की महाकुंभ झांकी ने, जिसने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से पूरे देश का दिल जीत लिया। महाकुंभ की झांकी ने हर किसी को भारतीय संस्कृति और आस्था के प्रति गर्व महसूस कराया।
महाकुंभ झांकी: आस्था और संस्कृति का संगम
उत्तर प्रदेश की झांकी इस साल "प्रयागराज महाकुंभ महोत्सव" को समर्पित थी। इसमें समुद्र मंथन के अद्भुत दृश्य, देवताओं और असुरों का संघर्ष, और अमृत कलश का सुंदर चित्रण किया गया। झांकी में ऋषि-मुनियों की प्रतिमाएं, उनके तप का दृश्य, और कलाकारों का शंख वादन हर किसी को आध्यात्मिकता का अनुभव करा रहा था। झांकी ने प्रयागराज महाकुंभ के महत्व को बेहद खूबसूरत अंदाज में दिखाया।
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प्रयागराज महाकुंभ
गौरतलब है कि महाकुंभ महोत्सव इस साल 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा। यह आयोजन सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और एकता का प्रतीक भी है। प्रयागराज महाकुंभ में रोजाना लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। देश-विदेश से लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए आ रहे हैं। महाकुंभ के दौरान 40 करोड़ श्रद्धालुओं के कुंभ नगरी पहुंचने के अनुमान है।
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झांकियों में दिखी भारत की विविधता की झलक
इस साल गणतंत्र दिवस परेड की थीम ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’थी। परेड में देश के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल रहीं, जिनमें से हर झांकी भारत की विविधता, गौरव और प्रगति की कहानी कह रही थी। केंद्रीय मंत्रालयों और संगठनों की 15 झांकियां भी इस परेड का हिस्सा बनीं, जिन्होंने आधुनिक भारत के विकास की झलक पेश की। लेकिन उत्तर प्रदेश की झांकी ने अपने भव्य और आध्यात्मिक प्रदर्शन से सबको पीछे छोड़ दिया।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बने गणतंत्र दिवस के साक्षी
76 वे गणतंत्र दिवस के खास मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, जो इस आयोजन में और मजबूत नजर आए।
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