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बड़ा खुलासा: मुंबई हमले में मरे आतंकियों को 'निशान-ए-हैदर' दिलाना चाहता था Tahawwur Rana

मुंबई हमलों का मास्टर माइंड तहव्वुर हुसैन राणा मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ देने की इच्छा जताई थी।

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Dhiraj Dhillon
तहव्वुर हुसैन राणा

Photograph: (Google)

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मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों का मास्टर माइंड Tahawwur Hussain Rana ने मुंबई हमले में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकियों को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ देने की इच्छा जताई थी। यह खुलासा अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में किया गया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद एक अधिकारिक बयान जारी किया है। बयान में राणा और उसके सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली के बीच की बातचीत के कुछ अंशों का भी जिक्र है।

मारे गए आतंकियों को सम्मानित करने की बात कही थी

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पाकिस्तान मूल का तहव्वुर राणा अब कनाडाई नागरिक है। वह अमेरिका में पहले से दोषी ठहराया जा चुका है। वह 2008 के मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली (उर्फ दाऊद गिलानी) का दायां हाथ था। अमेरिकी न्याय विभाग के बयान के मुताबिक हमले के बाद राणा ने हेडली से कहा कि भारतीय इसी के लायक थे। इसके साथ ही राणा ने कहा था कि मुंबई हमले में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकियों को  'निशान-ए-हैदर' से सम्मानित किया जाना चाहिए।

जानिए क्या है 'निशान-ए-हैदर'?

‘निशान-ए-हैदर’ पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य वीरता पुरस्कार है, जो केवल सशस्त्र बलों के उन जवानों को दिया जाता है जिन्होंने दुश्मन के खिलाफ असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया हो। पा‌किस्तान सरकार ने यह पुरस्कार 1947 के बाद से अब तक केवल 11 बार ही प्रदान किया है। बता दें कि  Tahawwur Hussain Rana भी पहले अमेरिकी सेना में डॉक्टर हुआ करता था।
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10 गंभीर मामलों में वांछित

अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से जारी किए गए बयान में 9 अप्रैल को तहव्वुर राणा के भारत को प्रत्यर्पण करने की पुष्टि की गई है। तहव्वुर राणा 10 गंभीर आपराधिक मामलों में वांछित था। यह मामले 2008 में हुए मुंबई हमलों से संबंधित हैं। अमेरिका ने कहा कि राणा का प्रत्यर्पण हमलों में मारे गए छह अमेरिकी नागरिकों और अन्य पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

शिकागो अदालत ने सुनाई थी सजा

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Tahawwur Rana extradition: 2013 में तहव्वुर राणा को शिकागो की एक अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने और डेनमार्क में आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई थी। इसी मामले में हेडली को भी दोषी ठहराया गया था और उसे 35 साल की जेल की सजा मिली थी। भारत में एनआईए की कस्टडी में तहव्वुर राणा कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है। गुरुवार को उसे नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया और विशेष अदालत में पेश किया। अदालत ने राणा को 18 दिनों की एनआईए कस्टडी में भेज दिया है।

मुंबई हमले के बारे में भी जानें

26/11 हमले की पृष्ठभूमि26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने समुद्री मार्ग से मुंबई में प्रवेश कर एक साथ कई स्थानों पर हमला किया था। इन हमलों में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए थे। इनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। भारतीय सुरक्षाबलों ने नौ आतंकियों को मार गिराया था, जबकि एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब को पकड़ कर बाद में फांसी दी गई थी।

एनआईए मुख्यालय की सुरक्षा बढ़ाई गई

पटियाला हाउस कोर्ट से 18 दिन की रिमांड मिलने के बाद तहव्वुर राणा को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) मुख्यालय में रखा गया है। इसके चलते मुख्यालय की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है। भारी संख्या में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यालय के आसपास सुरक्षा कड़ी की गई है।
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