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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अहमदाबाद में प्लेन क्रैश की घटना वाकई स्तब्ध करने वाली है। लेकिन इससे तकरीबन 29 साल पहले एक ऐसा हादसा हुआ था जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। हर एक का सवाल था कि क्या ऐसा भी हो सकता है। उस हादसे में दो कमर्शियल फ्लाइट्स बीच आसमान में एक दूसरे से भिड़ गई थीं। इसमें 349 लोग मारे गए थे।
चरखी दादरी में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर भिड़े थे दो विमान
ये हादसा चरखी दादरी इलाके के आसमान में हुआ। इसमें सऊदी फ्लाइट 763 और कजाख फ्लाइट 1907 के बीच भिड़ंत हुई थी। सऊदी का विमान दिल्ली से Dhahran जा रहा था जबकि कजाख फ्लाइट Chimkent से दिल्ली आ रही थी। दोनों विमानों में कुल मिलाकर 349 लोग सवार थे। हादसे में सारे लोगों की मौत हो गई। कई के तो शव तक नहीं मिल सके। 12 नवंबर 1996 की शाम तकरीबन 7 बजे चरखी दादरी के आसमान में अचानक एक आग का गोला देखा गया। लोग समझ ही नहीं पाए कि माजरा क्या है। जहाजों का मलबा जब जमीन पर आया तब लोगों को समझ में आ सका कि आखिर बीच आसमान में हुआ क्या था। दोनों प्लेनों का मलबा और शव चरखी दादरी के सात किलोमीटर के हिस्से से बाद में बरामद किए गए।
कजाख के प्लेन ने सऊदी के विमान को मार दी थी टक्कर
शाम को लगभग 6.40 बजे सऊदी की फ्लाइट ने दिल्ली से उड़ान भरी थी। विमान में बहुत से भारतीय वर्कर थे, जो काम के सिलसिले में Dhahran जा रहे थे। प्लेन के काकपिट में कैप्टन खालिद थे। सऊदी का प्लेन जब हवा में उड़ा उसके कुछ देर बाद ही कजाख फ्लाइट 1907 दिल्ली में लैंड करने वाली थी। कजाख विमान के पायलट अलेक्जेंडर थे। विमान हादसे के बाद जो जांच कराई गई उसने वो सारा ब्योरा दिया है जिससे बीच आसमान में हादसा हुआ।
अमेरिकन एयरफोर्स के पायलट ने अपनी आंखों से देखा था हादसा
रिपोर्ट के मुताबिक दोनों विमानों की भिड़ंत को सबसे पहले एक अमेरिकन पायलट ने देखा। वो उस वक्त आसमान में ही था। टिम प्लेस अमेरिकन एयरफोर्स के कार्गो प्लेन को लेकर दिल्ली जा रहे थे। जब हादसा हुआ तब वो बीच आसमान में दोनों प्लेनों के आसपास मौजूद थे। उनका कहना है कि अचानक आसमान में एक आग का गोला दिखाई दिया। दोनों जहाजों के टकराने से जो तपिश पैदा हुई उसका एहसास टिम प्लेस को बीच आसमान में ही हो गया। दिल्ली से तकरीबन 120 किमी दूर एक ऐसा हादसा हुआ था जो इतिहास में शुमार हो गया।
ATC ने अंग्रेजी में दिए थे निर्देश, कजाख पायलट के सिर से गुजर गए
हादसे के बाद पता चला कि कजाख फ्लाइट जमीन से 23 हजार फीट की ऊंचाई पर थी। ये दिल्ली से 74 नाटिकल मील की दूरी पर थी। दिल्ली नजदीक आया तो कजाख विमान ने 15 हजार फीट की ऊंचाई मेनटेन कर ली। दूसरी तरफ सऊदी का विमान पहले 10 हजार फीट की ऊंचाई पर था। फिर उसने तकरीबन 14 हजार फीट की दूरी मेनटेन कर ली। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर वीके दत्ता दोनों प्लेंस को हिदायत दे रहे थे। वो उनको बता रहे थे कि कितना ऊपर उड़ना है। जांच रिपोर्ट कहती है कि दत्ता ने कजाख विमान को हिदायत दी थी कि वो 15 हजार फीट की ऊंचाई मेनटेन करता रहे जबकि सऊदी विमान को 14 हजार फीट ऊपर उड़ने के लिए कहा गया था। दोनों प्लेंस के बीच तकरीबन एक हजार फीट की दूरी थी।
कोर्ट आफ इन्क्वायरी ने भी माना- कजाख पायलट दत्ता की बात नहीं समझ पाया
कोर्ट आफ इन्क्वायरी कहती है कि वीके दत्ता ने अपने काम में कोई कोताही नहीं बरती। उनके निर्देश दोनों पायलट्स के लिए बिलकुल साफ थे। कजाख विमान को 15 हजार फीट पर रहना था तो सऊदी वाले विमान को 14 हजार फीट की ऊंचाई मेनटेन करनी थी। जांच में पाया गया कि गलती कजाख पायलट की थी। वो अपने विमान को सऊदी के बराबर ले आया। जांच में कहा गया कि वीके दत्ता ने जो हिदायत दी वो कजाख पायलट समझ नहीं पाया। अंग्रेजी में उसका हाथ तंग था जिसके चलते वो समझा नहीं पाया कि दत्ता ने उससे क्या कहा था।
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