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Lucknow के शुभांशु की अंतरिक्ष उड़ान, मां के छलके खुशी के आंसू!

लखनऊ निवासी ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज गगनयान मिशन पर गए। पूरे देश को उनपर गर्व है। शुभांशु की मां आशा शुक्ला ने खुशी के आंसू बहाए और इसे एक भावुक पल बताया। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अभियान के लिए एतिहासिक होगा। जानें मां ने और क्या कहा?

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Ajit Kumar Pandey
Lucknow के शुभांशु की अंतरिक्ष उड़ान, मां के छलके खुशी के आंसू! | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' पर गए लखनऊ के जांबाज ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने हर भारतीय की तरह, शुभांशु की मां आशा शुक्ला की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा, "यह बहुत अच्छा अनुभव है, हम सब बहुत भावुक हो गए थे। बहुत खुशी है।" यह सिर्फ एक मां की खुशी नहीं, बल्कि हर उस भारतीय के दिल की आवाज है, जो इस गौरवशाली मिशन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

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यह खबर केवल गगनयान मिशन की सफलता का संकेत नहीं, बल्कि उन सपनों की उड़ान है जो हर भारतीय देखता है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जैसे सपूतों ने साबित कर दिया है कि लगन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ भारतीय वायुसेना और ISRO के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। जब प्रधानमंत्री ने इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की, तो पूरे देश की निगाहें उन पर टिक गईं। यह लम्हा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है।

शुभांशु: एक असाधारण उड़ान का सफर

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का बचपन से ही आसमान से गहरा रिश्ता रहा है। वायुसेना में अपनी सेवा के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण अभियानों में हिस्सा लिया। उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और देश के प्रति समर्पण ने ही उन्हें इस विशिष्ट मिशन के लिए चुना जाने का गौरव प्रदान किया है। गगनयान मिशन के तहत शुभांशु और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री भारतीय धरती से अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे, जो देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नई क्रांति लेकर आएगा। उनकी मां आशा शुक्ला का यह कहना कि वे 'बहुत भावुक' हो गई थीं, उन अनगिनत रातों का प्रतीक है जो उन्होंने अपने बेटे के सपनों को पूरा होते देखने के लिए बिताई होंगी।

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गगनयान: भारत की अंतरिक्ष शक्ति का प्रतीक

गगनयान मिशन सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का मिशन नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का प्रमाण है। यह मिशन आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है। ISRO के वैज्ञानिक वर्षों से इस मिशन पर काम कर रहे हैं और अब वह दिन दूर नहीं जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में भारत का झंडा फहराएंगे। यह पल पूरे विश्व को दिखाएगा कि भारत भी अंतरिक्ष महाशक्तियों की कतार में खड़ा है। गगनयान की सफलता से अंतरिक्ष पर्यटन और अन्य अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे। यह हमारे देश के लिए एक अविस्मरणीय उपलब्धि होगी।

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एक मां का सपना और देश का गौरव

आशा शुक्ला की खुशी में पूरे देश की खुशी समाहित है। जब उनके बेटे का नाम गगनयान मिशन के लिए घोषित किया गया, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह खुशी सिर्फ उनके बेटे की सफलता की नहीं, बल्कि हर उस परिवार की खुशी है जिसका सदस्य देश सेवा में जुटा है। 

शुभांशु जैसे जांबाज हमारे देश की शान हैं। उनका यह सफर हमें सिखाता है कि सपनों को पूरा करने के लिए कितनी भी चुनौतियां आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। उनका यह कदम आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा कि वे बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान लगा दें।

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इस ऐतिहासिक पल पर आपकी क्या राय है? ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को आप क्या शुभकामनाएं देना चाहेंगे? अपनी भावनाएं कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें और इस गौरवशाली क्षण का हिस्सा बनें! 

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