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दो खतरनाक विदेशी मछलियां देसी मछलियों के लिए बनीं खतरा, NGT का केंद्र को नोटिस

आप को सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा कि दो "आक्रामक और विदेशी" मछलियों का मामला एनजीटी के पास पहुंचा है, जिसमें शिकायत की गई है कि मच्छरों के नियंत्रण के लिए जलाशयों में छोड़ी जा रही इन आक्रामक मछलियों से फिश की अन्य प्रजातियों को खतरा उत्पन्न हो रहा है।

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Mukesh Pandit
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Photograph: (File)

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नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क।

National Green Tribuna(NGT):आप को सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा कि दो "आक्रामक और विदेशी" मछलियों का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी) के पास पहुंचा है, जिसमें शिकायत की गई है कि मच्छरों के नियंत्रण के लिए जलाशयों में छोड़ी जा रही इन आक्रामक मछलियों से फिश की अन्य प्रजातियों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस याचिका पर एनजीटी ने केंद्र सरकार को समन जारी करके जवाब मांगा है। इस मामले के प्रतिवादियों में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र शामिल हैं। मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी। 

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कई देशों में भी प्रतिबंधित हैं ये मछलियां

दरअसल, मच्छर नियंत्रण के लिए मछलियों की दो अत्यधिक आक्रामक और विदेशी प्रजातियों का "जैविक एजेंट" के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें  एक है 'गम्बूसिया एफिनिस' (मस्कीटोफिश) और दूसरी है 'पोसिलिया रेटिकुलता' (गुप्पी)। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ने मछलियों की इन दो प्रजातियों को 'आक्रामक और विदेशी' घोषित कर रखा है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों  ने मस्कीटोफिश पर प्रतिबंध लगा रखा है। इनको जलाशयों में छोड़े जाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनस में याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई करते हुए  केंद्र से जवाब मांगा है। 

उत्तर प्रदेश सहित एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में छोड़ी जा रही मछलियां

याचिका में कहा गया है कि इन प्रजातियों की मछलियों को विभिन्न राज्यों में मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए जलाशयों में छोड़ा जा रहा है। इसका स्थानीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे देशी मछली प्रजातियों के लिए भोजन की कमी हो रही है। याचिका में  अन्य देशों में इन पर लगाए गए प्रतिबंध का भी उल्लेख किया गया है। याचिका में कहा गया है कि ‘मस्कीटोफिश’उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश के जलाशयों में छोड़ा गया है, जबकि गुप्पी प्रजाति को महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और ओडिशा में छोड़ा गया था।

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दुनिया की 100 सबसे खतरनाक प्रजातियों में शामिल

याचिका में "इनवेसिव स्पीशीज स्पेशलिस्ट ग्रुप" की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार मस्कीटोफिश दुनिया की 100 "सबसे खराब आक्रामक विदेशी प्रजातियों" में से एक है। सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र से जवाब मांगा है।  केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र को नोटिश जारी किए गए हैं। मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी। 

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