Advertisment

रूस की S-400 सुरक्षा भेद गई यूक्रेन की चाल! भारत में दिखी थी ताकत

रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400, जिसे दुनिया का सबसे एडवांस सिस्टम माना जाता है, ने भारत में पाकिस्तानी ड्रोन को सफलतापूर्वक गिरा दिया, लेकिन रूस में वही सिस्टम यूक्रेन के ड्रोन हमलों को रोकने में विफल रहा।

author-image
Ranjana Sharma
Aishwarya Rai (34)
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्‍क: जिस रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की दुनिया भर में तारीफ होती है, और जिसने भारत में पाकिस्तानी ड्रोन को सीमा लांघते ही आसमान से गिरा दिया, वही सिस्टम रूस की सरजमीं पर यूक्रेन के ड्रोन हमलों को रोकने में नाकाम रहा है। यह सवाल अब वैश्विक स्तर पर उठ रहा है कि क्या S-400 सिस्टम की ताकत सिर्फ सीमित क्षेत्रों में ही असरदार है?

ट्रक में छिपाकर लाए गए ड्रोन?

हाल ही में रूस के अंदरूनी इलाकों में यूक्रेन ने ड्रोन अटैक तेज किए हैं, जिनमें तेल रिफाइनरी, सैन्य ठिकाने और गोदामों को निशाना बनाया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि ये ड्रोन हमले रूसी सीमा के सैकड़ों किलोमीटर अंदर तक पहुंचे, जबकि माना जाता है कि S-400 जैसे हाई-एंड डिफेंस सिस्टम इतने इलाके को कवर कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, यूक्रेन ने कई बार ड्रोन को ट्रकों या नागरिक वाहनों में छिपाकर लॉन्च साइट तक पहुंचाया, जिससे रडार और डिफेंस सिस्टम उन्हें पहचान नहीं सके। इससे यह संदेह गहराता है कि क्या S-400 जैसे सिस्टम लो-फ्लाइंग या छोटे आकार के ड्रोन को पकड़ पाने में अक्षम हैं?

भारत में तो काम कर गया था S-400!

दूसरी ओर भारत में जब पाकिस्तान की ओर से सीमा पर ड्रोन घुसपैठ की कोशिश हुई, तो S-400 ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उसे सीमा पार ही नष्ट कर दिया। भारतीय सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत में S-400 को सटीक कोऑर्डिनेशन, मजबूत रडार सपोर्ट और स्थिर लॉन्‍चिंग स्थिति मिली हुई है, जो रूस में जंग की स्थिति में नहीं मिल पा रही।

तो क्या S-400 की सीमाएं हैं?

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि S-400 की कार्यक्षमता जमीन की टोपोग्राफी, दुश्मन की रणनीति, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के अनुसार बदल सकती है। हाई-टेक ड्रोन, जो कम ऊंचाई पर उड़ते हैं और 'स्टील्थ मोड' में होते हैं, उन्हें पकड़ना किसी भी डिफेंस सिस्टम के लिए चुनौती बन सकता है।
Advertisment
Advertisment
Advertisment