तामेंगलोंग, वाईबीएन नेटवर्क। मणिपुर से हिंसा की खबर सामने आई है। इस घटना में 12 सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 25 लोग घायल हो गए हैं। मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में भूमि विवाद को लेकर दो नागा गांवों के बीच झड़प हुई। धीरे-धीरे झड़प ने हिंसक रूप ले लिया। घटना के बाद क्षेत्र में तनाव को देखते हुए अधिकारियों ने निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
कैसे सुलगी हिंसा की आग?
यह झड़प उस समय शुरू हुई जब तामेंगलोंग गांव के लगभग 2,000 निवासी अपने भूमि विवाद को लेकर उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपने के लिए मार्च कर रहे थे। इसी दौरान दाईलोंग गांव के कुछ लोगों ने मार्च कर रहे लोगों पर पत्थर फेंके, जिससे दोनों पक्षों में झड़प शुरू हो गई। बाद में दुइगैलोंग गांव के लोग भी दाईलोंग का समर्थन करते हुए हिंसा में शामिल हो गए।
PWD बंगला फूंका, पुलिस ने छोड़े आंसू गैसे के गोले
हिंसा के दौरान लोक निर्माण विभाग (PWD) के निरीक्षण बंगले को आग के हवाले कर दिया गया। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रशासन ने तामेंगलोंग के जिला मुख्यालय और सीमावर्ती क्षेत्रों – दाईलोंग, दुइगैलोंग और ओल्ड तामेंगलोंग – में भारतीय न्यायदंड संहिता (BNS) की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लागू कर दिए हैं, जो अगले आदेश तक प्रभावी रहेंगे।
मैतेई-कुकी हिंसा से नहीं है संबंध
इंफाल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यह हिंसा नागा समुदाय के दो गांवों के बीच सीमा विवाद से संबंधित है और इसका पिछले साल मई 2023 में शुरू हुई मैतेई-कुकी जातीय हिंसा से कोई संबंध नहीं है। आपको बता दें कि मणिपुर में जातीय संघर्ष को 2 साल पूरे होने वाले हैं। जातीय संघर्ष की हिंसा में करीब 260 लोगों की जान चुकी है।
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