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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। बंगाल एक बार फिर हिंसा की आग की चपेट आकर झुलस रहा है। वक्फ संसोधन बिल को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक होकर सांप्रदायिक रंग ले चुके हैं, जिससे राज्य के हालात और बिगड़ गए हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात मुर्शिदाबाद में हैं। जिले में भागीरथी के किनारे बसे धुलियान, सूती, शमशेरगंज और जंगीपुर में इस हिंसा का असर सबसे ज्यादा रहा। मुर्शिदाबाद भारत का मुस्लिम बहुल जिला है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां मुस्लिमों की आबादी 66 फीसदी से कुछ ज्यादा थी। मुर्शिदाबाद में हिंसा रोकने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर संवेदनशील इलाकों में राज्य पुलिस के जवानों के अलावा केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात की गई हैं। पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने का दावा है कि, इलाके में स्थिति अब नियंत्रण में है। पुलिस और प्रशासन के दावे के उलट इलाके में जमीनी परिस्थिति तो कम से कम सामान्य नहीं नजर आती।
कैसे शुरू हुई हिंसा?
वक्फ कानून के खिलाफ अल्पसंख्यक संगठनों ने जंगीपुर के पास नेशनल हाइवे पर प्रदर्शन करते हुए वाहनों की आवाजाही ठप्प कर दी थी। उसे हटाने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस पर भी पथराव किया गया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले लाठीचार्ज किया और फिर आंसू गैस के गोले छोड़े। उसके बाद अगले दिन भी यह सिलसिला दोहराया गया। वक्फ विरोधी यह आंदोलन तेजी से दूसरे इलाकों में भी फैला और हिंसक हो उठा। शुक्रवार और शनिवार को इसने सांप्रदायिक रूप ले लिया। उसके बाद भीड़ ने गैर-मुस्लिमों के मोहल्ले में हमला और तोड़फोड़ शुरू दी।
क्यों हो रहा है वक्फ बिल का विरोध
शुरुआती हिंसा के बाद प्रशासन ने इलाके में धारा 163 लागू करते हुए इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी थी। हिंसा बढ़ते देख कर कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की एक याचिका पर इलाके में केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया। उसके बावजूद अलग-अलग इलाकों में हिंसा भड़कती रही। इससे आतंकित लोगों का पलायन भी शुरू हो गया। रविवार शाम से हालात में कुछ सुधार आया, लेकिन अब भी इलाके में भारी तनाव है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी के संवाददाता को बताया, "हिंसा उकसाने के मामले में सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का नाम सामने आ रहा है। उसके कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को समझाया था कि इस कानून के जरिए सरकार उनकी संपत्ति पर कब्जा कर उसे इलाके के गैर-मुस्लिम लोगों में बांट देगी। इसकी जांच की जा रही है।"
बांग्लादेशी घुसपैठियों की भूमिका
राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने सीमा पार बांग्लादेश से आने वाले उग्रवादियों की भूमिका से भी इनकार नहीं किया है। इस पहलू की भी जांच हो रही है। मुर्शिदाबाद से लगी बांग्लादेश की सीमा कई जगह खाली है और वहां अक्सर घुसपैठ और उग्रवादियों को पनाह देने के मामले सामने आते रहे हैं। हालांकि सीमा की सुरक्षा करने का दायित्व केंद्रीय गृह मंत्रालय का है और बार्डर की सुरक्षा बीएसएफ के जिम्मे है। ममता सरकार इस पर सवाल उठाती रही है कि आखिर बीएसएफ के रहते घुसपैठ क्यों हो रही है। violence | Communal Violence | बंगाल हिंसा | violence in west bengal | bengal murshidabad violence
काम नहीं आई ममता की अपील
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद से ही कुछ इलाकों में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि ऐसी तमाम संपत्ति बेदखल हो जाएंगी। शायद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इसकी सूचना मिल गई थी। यही वजह है कि उन्होंने कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि दीदी आपके साथ है और वो आपकी संपत्ति की रक्षा करेगी। उन्होंने लोगों से किसी के बहकावे में नहीं आने की भी अपील की थी। हालांकि ममता का यह वादा शायद स्थानीय लोगों में भरोसा जगाने में नाकाम रहा। विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में यह सूचना जंगल की आग की तरह फैली और मंगलवार से जंगीपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन और आगजनी शुरू हो गई। उसके बाद हिंसा दूसरे इलाकों में भी पसरने लगी।
राज्य सरकार ने मुर्शिदाबाद में सामान्य परिस्थिति बहाल करने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों से 23 दक्ष और अनुभवी पुलिस अधिकारियों को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के तौर पर तैनात किया है। यह लोग अगले चार दिनों तक जिले के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में तैनात रहेंगे और अपने-अपने तरीके से हिंसा की वजहों का पता लगाएंगे।
इलाके से पलायन तेज
शनिवार से ही इलाके से शुरू हुआ पलायन का सिलसिला रविवार और सोमवार को और तेज हो गया। लोग छोटी नौका के सहारे नदी पार कर मालदा के विभिन्न इलाकों में पहुंचने लगे हैं। इनके चेहरों पर डर साफ नजर आया। अब ये सैकड़ों लोग सूनी और आतंकित आंखों से अनिश्चित भविष्य की ओर ताक रहे हैं। घर छोड़ कर पलायन करने वालों का सवाल है कि इस समय तो इलाके में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल मौजूद हैं. लेकिन वो हमेशा तो नहीं रहेंगे। उसके बाद अगर घर लौटे से हमारा क्या होगा?
पलायन करने वालों की आंखों में खौफ
सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में रहे मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज में हमलावरों ने एक पिता-पुत्र हरगोविंद दास (74) और चंदन दास (40) की धारदार हथियारों से हत्या कर दी। चंदन के चाचा के लड़के प्रसेनजित दास ने यह पूरी घटना छत पर खड़े होकर अपनी आंखों से देखी थीय़ प्रसेनजित बताते हैं, "भीड़ ने दरवाजा तोड़ कर धावा बोल दिया और हरगोविंद चाचा को खींच ले गई। उनको बचाने के लिए घर से निकला चंदन भी भीड़ की नाराजगी का शिकार हो गया। दोनों की हत्या कर दी गई। हम जान बचाने के लिए छत पर छिपकर बैठे रहे। तमाम हमलावर इसी मोहल्ले के थे और सब हमें जानते थे।"
भागीरथी नदी के एक किनारे मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान, डाकबंगला और शमशेरगंज जैसे इलाके हैं तो दूसरे किनारे पर मालदा जिले का वैष्णवनगर इलाका है। इसीलिए हिंसा से बच कर पलायन करने वालों का पहला ठिकाना वैष्णवनगर ही बन गया है। ज्यादातर ने स्थानीय हाईस्कूल में शरण ली है। कुछ लोग अपने परिजनों के घरों पर रह रहे हैं। यहां रहने वालों की जबान पर एक ही सवाल है। वह यह कि किसके भरोसे वहां रहें और बाद में घर लौटें? इतनी बड़ी तादाद में पुलिस वालों के रहते जब ऐसे जानलेवा हमले हुए तो आगे क्या होगा?
घर वापस भेजने की कोशिश में प्रशासन
बीएसएफ के कई शीर्ष अधिकारी भी इलाके में पहुंच गए हैं। जंगीपुर पुलिस जिला (यह पुलिस की कामकाज में सहूलियत के लिए जिला बनाया गया है) के पुलिस अधीक्षक आनंद राय ने के अनुसार, "अशांति की वजह से डर कर पलायन करने वालों को पुलिस की ओर से हरसंभव सहायता दी जा रही है। पुलिस उनकी घर वापसी में मदद करने के लिए भी तैयार है।" उन्होंने लोगों से पलायन नहीं करने की अपील की और भरोसा दिया कि उनको पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। वैष्णवनगर के तृणमूल कांग्रेस विधायक चंदन सरकार बताते हैं, "पार्टी के दो दर्जन कार्यकर्ताओं को नदी किनारे तैनात किया गया है ताकि उस पार से आने वालों को सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचाया जा सके। उनके रहने और खाने की व्यवस्था भी की जा रही है।"
केंद्र ने मांगी हिंसा पर रिपोर्ट
जिला प्रशासन ने भी मुर्शिदाबाद से आने वाले लोगों के रहने-खाने का इंतजाम किया है। स्थानीय एसडीओ पवन तामंग बताते हैं, "नदी पार कर आने वालों के रहने और खाने का इंतजाम किया जा रहा है। उन्होंने खुद शिविर का दौरा किया था।" इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस घटना पर रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इस हिंसा को भड़काने में सीमा पार से आने वाले असामाजिक तत्वों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद ही गृह मंत्रालय ने सरकार से इस घटना का पूरा ब्योरा मांगा है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र की ओर से यह बताने को भी कहा गया है कि पुलिस ने हिंसा की शुरुआत में ही इस पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? इसे बढ़ने और दूसरे इलाकों में फैलने क्यों दिया गया?