lok Sabha में
वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी जरूरत पर बात करते हुए कहा कि दिल्ली में सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन की जमीन समेत कई संपत्तियों से पर अपना दावा ठोक दिया था। मामला कोर्ट में गया था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने 123 संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। अगर हमने आज यह संशोधन पेश नहीं किया होता, तो हम जिस संसद भवन में बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था।
संसोधन से मुस्लिम के तमाम वर्गों को मिलेंगे अधिकार
किरेन रिजिजू ने कहा कि अब तक वक्फ बोर्ड पर चुनिंदा मुसलमानों का कब्जा रहा है। संसोधन के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा।
वक्फ बोर्ड में शिया, सुन्नी, बोहरा और पिछले मुसलमानों समेत महिलाएं और विशेष गैरमुस्लिम भी शामिल हो सकेंगे। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में चार गैर मुस्लिम सदस्य शामिल हो सकेंगे। उनमें दो महिलाएं शामिल होनी जरूरी हैं।
जेपीसी पर आया अमित शाह का बयान
लोकसभा में
वक्फ संसोधन विधेयक रखे जाने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे पास लोकतांत्रिक संयुक्त संसदीय समिति है। ये कांग्रेस का समय नहीं, जब संयुक्त संसदीय समिति भी केवल ठप्पा लगाने का काम करती थी। हमारी समिति चर्चा करती है और चर्चा के आधार पर बदलाव किया जाता है, संसोधन किए जाते हैं। यदि संसदीय बदलाव स्वीकार नहीं करेगी तो ऐसी समिति के कोई मायने नहीं हैं।
विधेयक के बाद विरोधी भी बदलेंगे
संसदीय कार्य मंत्री किरने रिजिजू ने कहा कि विधेयक के बारे में पूरी जानकारी के बाद विरोधियों के मन भी बदलेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। उधर रांची में झारखंड के मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी में कहा है कि यदि हम
बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे तो पिछड़ जाएंगे। जो समय के साथ चलना नहीं चाहता वह दुनिया की दौड़ में पिछड़ जाता है। विरोधियों के रुख पर मरांडी ने कहा कि यह विरोध आदतन है। इन्होंने तो तीन तलाक जैसी कुप्रथा पर भी विरोध किया था।