नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को पेश हो गया है। इसे पेश होते ही विपक्ष इसे लेकर कड़ा विरोध कर रहा है। इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। वक्फ बोर्ड मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है, पिछले कुछ समय से विवादों के केंद्र में रहा है। अब सरकार के प्रस्तावित संशोधनों के चलते यह विवाद और भी बढ़ गया है। वक्फ बोर्ड और उसकी भूमिका वक्फ बोर्ड भारतीय मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करने वाली संस्था है। इन संपत्तियों में मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, और अन्य धार्मिक स्थल शामिल होते हैं, जिनका उद्देश्य समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना होता है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन सही तरीके से न होने की स्थिति में समाज में असंतोष और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसी कारण से सरकार ने वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में सुधार के लिए नया कानून बनाने की योजना बनाई है।
विपक्ष का आरोप, सरकार वक्फ की स्वायत्तता को कर रहा कमजोर
विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार का यह कदम वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करने का प्रयास है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इन बदलावों के जरिए वक्फ बोर्ड के कामकाज में दखलअंदाजी करने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला है और यह इस समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है विपक्ष का यह भी कहना है कि वक्फ बोर्ड में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार सीधे तौर पर इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप करे। कई नेताओं का मानना है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सिर्फ और सिर्फ बोर्ड पर छोड़ दिया जाना चाहिए, ताकि यह स्वतंत्र रूप से काम कर सके।
सरकार का यह है पक्ष
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड में सुधार की आवश्यकता है ताकि इन संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन हो सके। सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता का अभाव है, जिसके कारण इन संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है। कई वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है और इनमें से कुछ संपत्तियां बेकार पड़ी हैं। केंद्र सरकार का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की कार्यशैली में सुधार करना और इन संपत्तियों का उपयोग समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग तक पहुंचाना है। इसके अलावा सरकार का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा, जिससे इन संपत्तियों की स्थिति का सही आंकलन किया जा सकेगा। सरकार का यह भी कहना है कि वक्फ बोर्ड के सदस्य हमेशा प्रभावी नहीं होते और उन्हें सही तरीके से काम करने के लिए नई प्रक्रिया की जरूरत है। इसके तहत सरकार वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी दुरुस्त करना चाहती है।
विपक्ष का दावा सरकारों का हस्तक्षेप बढ़ेगा
विपक्षी दलों का मुख्य विरोध इस बात पर है कि सरकार इन संशोधनों के जरिए वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है। उनका कहना है कि यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करेगा और मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचाएगा। विपक्षी नेताओं का यह भी कहना है कि वक्फ बोर्ड के कामकाज में सुधार की आवश्यकता तो है, लेकिन इसके लिए वक्फ बोर्ड के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता। कुछ दलों का यह भी कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में राज्य और केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा, जो धार्मिक मामलों में सीधे तौर पर दखलअंदाजी माना जाएगा। इससे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर संकट आ सकता है।