नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। 13 मई को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के शुकरू वन क्षेत्र में सुरक्षाबलों और लश्कर-ए-तैयबा (LET) के आतंकियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए। इनमें संगठन का शीर्ष कमांडर शाहिद कुट्टे, अदनान शफी और पुलवामा निवासी अहसान-उल-हक शेक जैसे खूंखार आतंकी शामिल थे। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया है, जिनका वीडियो सामने आया है।
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खुफिया जानकारी और आतंकियों का एनकाउंटर
मंगलवार सुबह शोपियां के शुकरू वन क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलते ही सेना की 20 राष्ट्रीय राइफल्स, पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और सीआरपीएफ ने घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया। जैसे ही घेरा सख्त हुआ, आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में सुरक्षाबलों ने सटीक कार्रवाई करते हुए तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया। एनकाउंटर में तीनों आतंकी मारे गए।
खतरनाक हथियार घाटी तक कैसे पहुंचे?
लश्कर-ए-तैयबा (LET) के आतंकियों से बरामद हथियारों में एके-47 राइफलें, मैगजीन, ग्रेनेड और अन्य घातक हथियार शामिल हैं। लेकिन इस कार्रवाई के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आख़िर इतना बड़ा हथियारों का जखीरा घाटी में पहुंचा कैसे? अब जांच एजेंसियां इस बात की तह तक जाने में जुटी हैं कि ये हथियार घाटी में कब, कैसे और कहां से पहुंचे। क्या इसमें स्थानीय नेटवर्क की कोई भूमिका रही? क्या सीमा पार से कोई नया सप्लाई चैन एक्टिव किया गया है? या फिर हाल ही में हुए भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद आतंकी संगठनों को पाकिस्तान से नए निर्देश मिले हैं?
आतंकियों का क्या मकसद था?
बरामद हथियारों देखते हुए यह स्पष्ट है कि आतंकी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी संभावना है कि यह हथियार आगामी महीनों में घाटी में अस्थिरता फैलाने के लिए इकट्ठा किए गए थे।