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खौफनाक हमले के मिले 7 सुबूत, जानें क्यों अब बाप-बाप चिल्लाएगा 'आतंक का आका'!

भारतीय जांच एजेंसियों ने पाकिस्तान के खिलाफ सात ठोस सबूत जुटाए हैं, जिनमें डिजिटल फुटप्रिंट्स और फॉरेंसिक साक्ष्य शामिल हैं, जो पाकिस्तानी आतंकियों की ओर इशारा करते हैं।

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Ajit Kumar Pandey
PAKISTAN PAHALGAM ATTACK IN JAMMU KASHMIR
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । भारतीय जांच एजेंसियां जांच में जुटी हुई हैं, एक एक स्पाट पर जाकर हर स्तर जांच करके सुबूत जुटाए जा रहे हैं। डिजिटल फुटप्रिंट, फोरेंसिक रिपोर्ट, घटनास्थल पर मिले तमाम साक्ष्य एकत्रित कर लिए गए हैं।

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एक्सपर्ट की टीम पूरी तरह से इस नतीजे पर पहुंची है कि पहलगाम में हुए हमले में पाकिस्तान पूरी तरह से संलिप्त है। इस बात 7 सुबूत मीडिया रिपोर्ट में सामने आए हैं जो पाक की 'ना' पाक करतूतों की गवाही चीख चीखकर दे रहे हैं। पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब हो चुका है। सुबूत सामने आने के बाद पाक अब बाप-बाप चिल्लाएगा! आइए पूरी रिपोर्ट को समझते हैं... 

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम की बैसरन घाटी, जिसे 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है, एक भयावह आतंकी हमले का गवाह बनी। यह हमला न केवल कश्मीर घाटी के इतिहास में सबसे घातक हमलों में से एक था, बल्कि इसने देश और दुनिया को झकझोर कर रख दिया। 

इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और कई अन्य घायल हुए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस हमले की जांच शुरू की, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिले। यह कहानी उस भयानक दिन की घटनाओं, जांच की प्रगति और इसके व्यापक प्रभावों को बयान करती है।

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हमले का खौफनाक मंजर

बैसरन घाटी, पहलगाम से लगभग 5 किलोमीटर दूर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहां पर्यटक घुड़सवारी, पिकनिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं। 22 अप्रैल की दोपहर करीब 2:30 बजे, जब घाटी में करीब 1200 पर्यटक मौजूद थे, अचानक हथियारबंद आतंकियों ने हमला बोल दिया।

आतंकी सैन्य वर्दी में थे और उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पहले भीड़ से धर्म पूछा और कुछ लोगों को कलमा पढ़ने के लिए कहा। जो लोग उनकी मांग पूरी नहीं कर पाए, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गई।

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हमले में चार आतंकियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से तीन पाकिस्तानी नागरिक थे, जिनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए, जबकि चौथा आतंकी स्थानीय निवासी आदिल ठोकर था। आदिल 2018 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था और बाद में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ गया।

आतंकियों ने एक सुनियोजित तरीके से हमला किया, जिसमें उन्होंने पर्यटकों को निशाना बनाया और सिर व सीने जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर गोलियां चलाईं। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए।

हमले के बाद घाटी में अफरा-तफरी मच गई। पर्यटक इधर-उधर भागने लगे, लेकिन खुले मैदान में छिपने की कोई जगह नहीं थी। कुछ स्थानीय घुड़सवारों ने घायलों को घोड़ों पर लादकर अस्पताल पहुंचाया। एक चश्मदीद ने बताया, "हमने सोचा कि यह पटाखों की आवाज है, लेकिन जब चीखें सुनाई दीं और लोग गिरने लगे, तो हमें समझ आया कि यह आतंकी हमला है।"

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PAHALGAM TERROR ATTACK

जांच की शुरुआत और एनआईए की भूमिका

हमले की सूचना मिलते ही जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने इलाके को घेर लिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक उच्चस्तरीय टीम, जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर जनरल विजय शंकर कर रहे थे, 23 अप्रैल को श्रीनगर पहुंची। एनआईए ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांच शुरू की। बैसरन घाटी को पूरी तरह सील कर दिया गया, और फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने घटनास्थल से सबूत जुटाए।

घटनास्थल पर मिले कारतूस के खोखों से पता चला कि आतंकियों ने एके-47 और एम4 राइफलों का इस्तेमाल किया था। एक स्थानीय फोटोग्राफर, जो हमले के दौरान पेड़ पर चढ़कर वीडियो बना रहा था, एनआईए का प्रमुख गवाह बना। इस वीडियो ने हमले की पूरी समयरेखा और आतंकियों की हरकतों को कैद किया, जिससे जांच में महत्वपूर्ण सुराग मिले। इसके अलावा, एक छुट्टी पर आए सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल ने भी हमले का विवरण दिया, जो जांच के लिए उपयोगी साबित हुआ।

एनआईए की प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसकी सहयोगी इकाई द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा सुनियोजित था। आतंकियों ने कोकेरनाग के जंगलों से कई घंटों की पैदल यात्रा कर बैसरन घाटी तक पहुंच बनाई थी। जांच में यह भी सामने आया कि आतंकियों ने हमले को रिकॉर्ड करने के लिए हेलमेट-माउंटेड कैमरे पहने थे, जिससे उनकी क्रूरता और योजना की गहराई का पता चलता है।

पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत

भारत ने इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता के सात ठोस सबूतों का दावा किया। इनमें आतंकियों के पाकिस्तानी मूल, उनके प्रशिक्षण शिविरों की जानकारी, और सीमा पार से घुसपैठ के रास्तों का पता शामिल है। जांच एजेंसियों ने पाया कि आतंकी समूहों ने बैसरन घाटी को इसलिए चुना क्योंकि वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था और सुरक्षा बलों की मौजूदगी न के बराबर थी। इसके अलावा, आतंकियों ने दो मोबाइल फोन छीने, जिन्हें बाद में जंगल में फेंक दिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा, "इस जघन्य कृत्य के पीछे शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।" उन्होंने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिल्ली लौट आए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की और जांच को तेज करने के निर्देश दिए। भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए।

PAHALGAM ATTACK JAMMU KASHMIR

खौफनाक साजिश के सात पुख्ता सबूत

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच में इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की संलिप्तता के सात ठोस सबूत सामने आए हैं।

1. डिजिटल फुटप्रिंट्स: मुजफ्फराबाद और कराची से जुड़े तार

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जांच में पाया कि हमले के संदिग्ध आतंकियों के डिजिटल निशान पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची में स्थित सेफ हाउस तक पहुंचते हैं। आतंकियों के संचार और योजना से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, जैसे मैसेजिंग ऐप्स और इंटरनेट प्रोटोकॉल्स, इन स्थानों पर सक्रिय आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। यह सबूत स्पष्ट रूप से क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद के लिंक को दर्शाता है।

2. फॉरेंसिक साक्ष्य: एके-47 और एम4 राइफल का इस्तेमाल

घटनास्थल से बरामद कारतूस के खोखों की फॉरेंसिक जांच से पता चला कि आतंकियों ने एके-47 और एम4 राइफलों का इस्तेमाल किया। ये हथियार आमतौर पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), द्वारा उपयोग किए जाते हैं। हथियारों की प्रकृति और उनकी उत्पत्ति हमले में विदेशी समर्थन की ओर इशारा करती है।

3. आतंकियों की पहचान: तीन पाकिस्तानी और एक स्थानीय आतंकी

जांच में चार आतंकियों की पहचान हुई, जिनमें तीन पाकिस्तानी नागरिक-आसिफ फौजी, सुलेमान शाह (उर्फ हाशिम मूसा), और अबु तल्हा (उर्फ अली भाई) और एक स्थानीय आतंकी आदिल हुसैन थोकर शामिल थे। आदिल, जो 2018 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था, बाद में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा। उसने 2018 में वैध दस्तावेजों के साथ वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान की यात्रा की थी, जहां उसे आतंकी प्रशिक्षण दिया गया।

4. लंबी पैदल यात्रा: कोकेरनाग जंगलों से 22 घंटे का सफर

जांच से पता चला कि आतंकियों ने हमले को अंजाम देने के लिए कोकेरनाग के घने जंगलों से बैसरन घाटी तक 20-22 घंटे की कठिन पैदल यात्रा की। यह दर्शाता है कि हमला सुनियोजित था और आतंकियों ने रणनीतिक रूप से एक ऐसे स्थान को चुना, जहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर थी। इस लंबी यात्रा के लिए उन्हें स्थानीय और बाहरी समर्थन की जरूरत थी।

5. स्थानीय फोटोग्राफर का वीडियो: हमले की पूरी समयरेखा

एक स्थानीय फोटोग्राफर, जो हमले के दौरान पेड़ पर चढ़कर वीडियो बना रहा था, ने घटना की पूरी समयरेखा कैद की। इस वीडियो में आतंकियों की गतिविधियां, उनकी रणनीति, और हमले का क्रम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह वीडियो एनआईए के लिए सबसे महत्वपूर्ण सबूतों में से एक है, जिसने आतंकियों की पहचान और उनके कार्यप्रणाली को समझने में मदद की।

6. खुफिया जानकारी: पाकिस्तानी आतंकियों की कमान

सूत्रों के अनुसार, हमले की कमान पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ में थी। छह से सात आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया, जिनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के थे। उन्होंने इलाके की पहले रेकी की और फिर सुनियोजित तरीके से गोलीबारी शुरू की। आतंकियों द्वारा बोली गई उर्दू की शैली भी पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में प्रचलित थी, जो उनकी उत्पत्ति की ओर इशारा करती है।

7. छीने गए मोबाइल फोन: भागने के दौरान सबूत नष्ट करने की कोशिश

हमले के दौरान आतंकियों ने एक स्थानीय निवासी और एक पर्यटक के दो मोबाइल फोन छीने। जांच में पता चला कि भागने के दौरान आतंकियों ने इन फोन को जंगल में फेंक दिया, संभवतः सबूत मिटाने की कोशिश में। हालांकि, इन फोन की बरामदगी और डेटा विश्लेषण से जांच एजेंसियों को अतिरिक्त सुराग मिलने की उम्मीद है।

हमले की पृष्ठभूमि और प्रभाव

यह हमला बैसरन घाटी में हुआ, जो पहलगाम से 7 किलोमीटर दूर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। आतंकियों ने सैन्य वर्दी पहनकर और धर्म पूछकर पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया। हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए। द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), जो लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी इकाई है, ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया।

भारत ने इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए। सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए, और अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इस जघन्य कृत्य के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"

पहलगाम हमले के ये सात सबूत स्पष्ट रूप से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की गहरी साजिश को उजागर करते हैं। डिजिटल साक्ष्य, फॉरेंसिक विश्लेषण, आतंकियों की पहचान, और स्थानीय गवाहों के बयान इस हमले के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन को पुख्ता करते हैं।

एनआईए की जांच और सुरक्षा बलों के अभियान से उम्मीद है कि इस हमले के सभी दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। यह घटना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक और स्थानीय स्तर पर एकजुटता की जरूरत को रेखांकित करती है।

KASHMIR PAHALGAM TERROR

स्थानीय और वैश्विक प्रतिक्रिया

इस हमले ने कश्मीर घाटी में पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया। पहलगाम, जो हनीमून और पारिवारिक छुट्टियों के लिए लोकप्रिय है, एक भूतिया शहर में बदल गया। होटल मालिकों और दुकानदारों ने हमले के खिलाफ मोमबत्ती जुलूस निकाला। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें हमले को "कश्मीरियत और भारत के विचार पर हमला" करार दिया गया।

वैश्विक समुदाय ने भी इस हमले की निंदा की। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा, "फ्रांस इस दुख की घड़ी में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।" कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया।

पीड़ितों की कहानियां

इस हमले में कई दिल दहला देने वाली कहानियां सामने आईं। पुणे के दो दोस्त, कौस्तुभ गणबोटे और संतोष जगदाले, अपने परिवारों के साथ छुट्टियां मना रहे थे, जब आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाया।

एक पीड़िता ने बताया कि उसने अपनी बिंदी हटा दी थी ताकि उसकी पहचान छिप सके, लेकिन फिर भी उसके पति को गोली मार दी गई। कर्नाटक के भरत भूषण और मंजूनाथ राव भी इस हमले में मारे गए। भरत की पत्नी सुजाता ने अपने पति का पहचान पत्र उठाया और अपने तीन साल के बेटे को लेकर सुरक्षित स्थान पर भागी।

एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों की तलाश में बड़े पैमाने पर अभियान चला रही हैं। ड्रोन और हेलीकॉप्टरों की मदद से जंगलों में सर्च ऑपरेशन जारी है। सरकार ने हमले में शामिल आतंकियों की जानकारी देने वालों के लिए 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है।

यह हमला कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाने और खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को और गहरा करना होगा।

पहलगाम की बैसरन घाटी में हुआ यह आतंकी हमला न केवल एक त्रासदी था, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूत करने का आह्वान भी है।

पीड़ितों के परिवारों के दर्द को कम करना मुश्किल है, लेकिन सरकार और जांच एजेंसियों का दृढ़ संकल्प यह सुनिश्चित करता है कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि शांति और समृद्धि के लिए आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना कितना जरूरी है। jammu and kashmir terror attack | Pahalgam | Indian army news | pmmodi |

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