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जंग चालू...बत्ती गुल! युद्ध के दौरान क्यों होता है Blackout?

हालातों के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में ब्लैकआउट रिहर्सल के निर्देश भी दिए गए हैं। हाल ही में पंजाब के फिरोजपुर में ब्लैकआउट की रिहर्सल की गई थी। ब्लैक आउट क्या होता है? आइए जानते हैं। 

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Pratiksha Parashar
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Blackout
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत ने साफ कर दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। भारत के एक्शन से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और सीमा पर गोलीबारी कर रहा है। हालातों के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने 7 मई को पूरे देश में मॉक ड्रिल आयोजित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही ब्लैकआउट रिहर्सल के निर्देश भी दिए गए हैं। हाल ही में पंजाब के फिरोजपुर में ब्लैकआउट की रिहर्सल की गई थी। 1971 में भारत-पाक युद्ध और बांग्लादेश विभाजन के समय ब्लैक आउट के हालात बने। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कस्बों में रहने वाले लोगों को बचाने के लिए ब्लैकआउट किया गया था। ब्लैक आउट क्या होता है? इसका क्या असर होता है? आइए जानते हैं। 

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ब्लैकआउट क्या है?

ब्लैकआउट एक सुरक्षा रणनीति है, जिसमें किसी क्षेत्र की सभी कृत्रिम रोशनियों को बंद कर दिया जाता है। इसका उद्देश्य युद्ध या आपात स्थिति के दौरान दुश्मन को लक्ष्यों की पहचान करने से रोकना होता है। विशेष रूप से रात के समय जब हवाई हमलों या ड्रोन से खतरा हो, तब यह तरीका नागरिकों की जान बचाने में मददगार साबित होता है। ब्लैक आउट के दौरान सभी तरह की रोशनी को बंद कर दिया जाता है, जिससे रिहायशी इलाकों में पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है। दरअसल, युद्ध के दौरान दुश्मन देश ज्यादातर रिहायशी इलाकों को निशाना बनाते हैं,  विजुअल टरागेटिंग वाले ड्रोन को रोशनी से मदद मिलती है ऐसे में ब्लैक आउट करने से दुश्मन को चकमा दिया जाता है। 

Blackout

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द्वित्तीय विश्व युद्ध में ब्लैक आउट

ब्लैकआउट की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान हुई थी। उस समय ब्रिटेन समेत कई देशों में घरों, दुकानों, फैक्ट्रियों और वाहनों की लाइट्स को नियंत्रित किया जाता था। खिड़कियों को कपड़े या पर्दों से ढंका जाता था, स्ट्रीट लाइट्स बुझा दी जाती थीं और वाहनों की हेडलाइट्स पर मास्क लगा दिए जाते थे। ब्लैकआउट नियमों के पालन के लिए 'एयर रेड प्रीकॉशन्स' (ARP) वार्डन नियुक्त किए जाते थे। ये लोग रात में गश्त करते थे और जहां कहीं रोशनी दिखती, वहां कार्रवाई करते थे। नियम तोड़ने पर जुर्माना या अदालत में पेशी हो सकती थी। उदाहरण के तौर पर, ब्रिटेन में एक महिला को ब्लैकआउट नियम तोड़ने पर £2 का जुर्माना भरना पड़ा था।

ब्लैक आउट की अहमियत

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भले ही आज के आधुनिक युद्ध में सैटेलाइट और रडार जैसी तकनीकें मौजूद हैं, लेकिन फिर भी ब्लैकआउट जैसी रणनीतियां आज भी नागरिक सुरक्षा और आपातकालीन तैयारियों का अहम हिस्सा हैं। भारत-पाक तनाव के चलते पंजाब में ब्लैक आउट की रिहर्सल की गई, यह इसकी अहमियत को दर्शाती है।

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