/young-bharat-news/media/media_files/2025/05/06/lMuRVo3LrBFfE9ejHfsZ.jpg)
कल्पना कीजिए:
एक तेज, कर्कश सायरन की आवाज शहर को चीरती है। पहला सायरन, फिर दूसरा, और फिर तीसरा। हर ध्वनि के साथ एक संदेश खतरा करीब है, लेकिन डरने की नहीं, तैयार होने की जरूरत है। यह कोई फिल्म का सीन नहीं, बल्कि गाजियाबाद में सिविल डिफेंस की अनोखी मॉक ड्रिल की तैयारी है, जो शहर को आपदा से निपटने का सबक सिखाने जा रही है। चीफ वार्डन ललित जसवाल की अगुवाई में यह अभियान न केवल जागरूकता की मशाल जलाएगा, बल्कि हर नागरिक को "तैयार रहो" का मंत्र देगा।
मॉक ड्रिल: एक युद्धाभ्यास बिना युद्ध के
ललित जसवाल, सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन, ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक में इस मॉक ड्रिल की रूपरेखा तैयार की। "हमारा मकसद है कि हर व्यक्ति, चाहे वह स्कूल का छात्र हो या सोसाइटी में रहने वाला आम नागरिक, आपदा के समय सही कदम उठाना सीखे," उन्होंने बताया। इस अभियान के तहत शहर के 10 स्कूलों को चिन्हित किया गया है, जहां छात्रों को आपदा प्रबंधन का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, रिहायशी सोसाइटीज के लोग भी इस अनोखे प्रशिक्षण का हिस्सा बनेंगे।
सायरन का रहस्य:
तीन ध्वनियां, तीन संदेश
मॉक ड्रिल का सबसे रोचक हिस्सा है सायरन की भाषा। ललित जसवाल ने बताया, "हम लोगों को समझाएंगे कि सायरन सिर्फ शोर नहीं, बल्कि एक कोड है।
पहला सायरन: खतरे की आहट, सतर्क हो जाओ।
दूसरा सायरन: तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएं।
तीसरा सायरन: खतरा टला, लेकिन सावधानी बरतें।
यह कोड न केवल हवाई हमले जैसी आपात स्थिति में मदद करेगा, बल्कि लोगों में समयबद्ध कार्रवाई की समझ भी विकसित करेगा। सायरन की इन ध्वनियों को सुनकर लोग घबराएंगे नहीं, बल्कि सही कदम उठाएंगे यह है इस मॉक ड्रिल का असली मकसद।
ब्लैकआउट:
जब रोशनी छुप जाएमॉक ड्रिल का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है ब्लैकआउट प्रशिक्षण। "हवाई हमले या आपदा के समय ब्लैकआउट जरूरी हो सकता है, ताकि दुश्मन को हमारी स्थिति का पता न चले," जसवाल ने समझाया। लोगों को बताया जाएगा कि ब्लैकआउट के दौरान रोशनी को कैसे नियंत्रित करना है, खिड़कियों को कैसे ढंकना है, और अनावश्यक बिजली के उपयोग से कैसे बचना है। यह न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अनुशासन और सामूहिक जिम्मेदारी का पाठ भी सिखाता है।
टीमवर्क का जादू: सिविल डिफेंस और फायर ब्रिगेड
इस मॉक ड्रिल को और प्रभावी बनाने के लिए सिविल डिफेंस के साथ-साथ फायर ब्रिगेड के कर्मचारी भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। आगजनी, बचाव कार्य, और आपातकालीन चिकित्सा सहायता जैसे पहलुओं पर फायर ब्रिगेड की विशेषज्ञता इस अभियान को और मजबूती देगी। यह एक सामूहिक प्रयास है, जसवाल ने कहा, जब सभी विभाग और नागरिक एक साथ आते हैं, तभी हम आपदा से लड़ सकते हैं।
स्कूलों से सोसाइटीज तक:
जागरूकता की लहर10 चिन्हित स्कूलों में मॉक ड्रिल के दौरान छात्रों को न केवल सायरन और ब्लैकआउट के बारे में बताया जाएगा, बल्कि उन्हें आपदा के समय सुरक्षित निकासी, प्राथमिक उपचार, और सामूहिक सहयोग जैसे कौशल भी सिखाए जाएंगे। वहीं, सोसाइटीज में रहने वालों के लिए विशेष सत्र आयोजित होंगे, जहां उन्हें बताया जाएगा कि कैसे अपने परिवार और पड़ोसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
क्यों है यह हटकर?
यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं है। यह एक ऐसी पहल है, जो शहर के हर कोने में जागरूकता की अलख जगाएगी। सायरन की आवाज, ब्लैकआउट की रणनीति, और सामूहिक सहयोग का यह अभ्यास हमें याद दिलाता है कि आपदा से डरने की नहीं, उसका सामना करने की जरूरत है। ललित जसवाल और उनकी टीम का यह प्रयास न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि एक मिसाल है कि कैसे छोटे-छोटे कदम समाज को बड़ा बदलाव दे सकते हैं।
Ghaziabad Crime News | Ghaziabad District Hospital | ghaziabad dm | ghaziabad latest news | ghaziabad news | Ghaziabad news today | ghaziabad police | Ghaziabad Police Case | Ghaziabad protest | Ghaziabad Viral News | Hospitals In UP’s Ghaziabad | public protest Ghaziabad