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कुत्तों के लिए क्यों कहा 'नो फीडिंग'! जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदला अपना ही फैसला?

आवारा कुत्तों पर SC ने बड़ा फैसला सुनाया है। नसबंदी के बाद कुत्ते उसी जगह छोड़े जाएंगे, जहां से पकड़े गए। हिंसक कुत्तों को शेल्टर में रखा जाएगा। सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर भी प्रतिबंध लगा है। यह आदेश अब पूरे देश में लागू होगा।

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Ajit Kumar Pandey
कुत्तों के लिए क्यों कहा 'नो फीडिंग'! जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदला अपना ही फैसला? | यंग भारत न्यूज

कुत्तों के लिए क्यों कहा 'नो फीडिंग'! जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदला अपना ही फैसला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज शुक्रवार 22 अगस्त 2025 को दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ पूरे देश में आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही पुराने आदेश को बदलकर संशोधित फैसला सुनाया है। अब कुत्तों की नसबंदी के बाद उन्हें उसी जगह पर छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। इसके साथ ही, सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस आदेश ने देश भर में एक नई बहस छेड़ दी है।

आपको बता दें कि भारत में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी और उनके हिंसक व्यवहार ने पिछले कुछ सालों में एक गंभीर चिंता का विषय बना दिया है। गली-मोहल्लों से लेकर बड़े शहरों की सड़कों तक, ये कुत्ते अक्सर लोगों के लिए खतरा बन जाते हैं।

इस समस्या को सुलझाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने पहले एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से डॉग शेल्टर्स में रखा जाएगा।

यह आदेश आते ही, पशु प्रेमियों और एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स ने इस पर पुनर्विचार करने के लिए याचिका दायर की। उनका तर्क था कि इस तरह का कदम जानवरों के अधिकारों का उल्लंघन है और इससे उनकी प्राकृतिक जीवनशैली बाधित होगी।

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याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश पर फिर से विचार किया। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पुराने आदेश को दिल्ली-एनसीआर तक सीमित रखने की बजाय अब इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

यह एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि अब हर राज्य सरकार को इस फैसले का पालन करना होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल हिंसक और आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर्स में रखा जाएगा, बाकी को नसबंदी के बाद उसी स्थान पर छोड़ा जाएगा।

'नो फीडिंग' का मतलब क्या?

कोर्ट के इस फैसले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है "सार्वजनिक स्थानों पर नो फीडिंग" का आदेश। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि अब सड़कों, पार्कों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को खाना नहीं दिया जा सकता। यह फैसला इसलिए लिया गया है, ताकि कुत्तों की निर्भरता इंसानों पर कम हो और वे अपनी प्राकृतिक रूप से खाना खोजने की आदत को बनाए रखें। हालांकि, इसका यह भी मतलब है कि अब लोग अपने-अपने घरों के आसपास भी कुत्तों को खाना नहीं खिला पाएंगे, जिससे उनकी देखभाल करने वालों के लिए एक नई चुनौती पैदा हो गई है।

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नसबंदी के बाद उसी जगह वापसी: जिन आवारा कुत्तों को नसबंदी के लिए पकड़ा जाएगा, उन्हें वापस उसी जगह छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें लिया गया था।

हिंसक कुत्तों पर रोक: सिर्फ उन कुत्तों को शेल्टर्स में रखा जाएगा, जो हिंसक या आक्रामक हैं।

पूरे देश में लागू: यह आदेश अब सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे भारत में लागू होगा।

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सार्वजनिक जगहों पर खाना खिलाने पर प्रतिबंध: सड़कों और पार्कों जैसी जगहों पर अब कुत्तों को खाना नहीं दिया जा सकेगा।

हाईकोर्ट के लंबित मामले: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और हाईकोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।

इस फैसले पर लोगों की अलग-अलग राय है। एक तरफ जहां कुछ लोग इसे एक सही कदम मान रहे हैं, क्योंकि इससे सड़कों पर कुत्तों की बढ़ती आबादी और उनके हमले रुकेंगे, वहीं दूसरी ओर पशु प्रेमी और पशु कल्याण संगठन इस फैसले से चिंतित हैं। उनका मानना है कि सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर प्रतिबंध लगाने से कुत्तों के लिए भोजन की समस्या पैदा हो सकती है और वे और भी आक्रामक हो सकते हैं।

इस फैसले के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकारें इसे कैसे लागू करती हैं और क्या यह वाकई आवारा कुत्तों की समस्या को हल कर पाएगा। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक नई बहस का केंद्र बन गया है, जिसका असर आने वाले समय में सड़कों पर दिखने को मिलेगा।

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