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हर बार क्यों मौत लेती है भगदड़ का बहाना? मनसा देवी से कुंभ तक नहीं थमा लाशों का सिलसिला

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह दर्शन के दौरान हाई वोल्टेज तार गिरने से भगदड़ मच गई, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मौत और कई लोग घायल हो गए। यह हादसा भारत में धार्मिक स्थलों पर बार-बार हो रही भगदड़ों की कड़ी में एक और त्रासदी है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह दर्शन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। भारी भीड़ के बीच हाई वोल्टेज तार गिरने से भगदड़ मच गई, जिसमें कम से कम छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही वे स्वयं मौके के लिए रवाना हो गए हैं।यह पहली बार नहीं है जब किसी धार्मिक स्थल पर भीड़ ने इस तरह जानलेवा रूप लिया हो। पिछले वर्षों में देशभर में कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। फिर भी भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही बार-बार देखने को मिलती है। आइए एक नजर डालते हैं अब तक हुए कुछ बड़े हादसों पर।

प्रयागराज कुंभ 2025:भगदड़ में 30 से ज्यादा मौतें

29 जनवरी 2025 को प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर स्नान के लिए उमड़ी लाखों की भीड़ के बीच भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई दर्जन घायल हुए थे। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां सरकार और प्रशासन करोड़ों रुपये की व्यवस्था करता है, लेकिन भीड़ नियंत्रण के मोर्चे पर हर बार गंभीर खामियां सामने आती हैं।

हाथरस सत्संग 2024: 121 की मौत

2 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के फुलराई गांव में 'भोले बाबा' के सत्संग के दौरान कार्यक्रम स्थल से निकलते वक्त भगदड़ मच गई। इस सबसे बड़े हालिया हादसे में 121 लोगों की मौत हुई और 150 से अधिक घायल हुए। बारिश से कीचड़, एक ही संकरा निकास मार्ग और आयोजकों की लापरवाही इस त्रासदी के मुख्य कारण बने। पुलिस ने आयोजकों पर सबूत छुपाने और कानून के उल्लंघन का आरोप भी लगाया। खास बात यह रही कि आयोजक ने ‘नारायणी सेना’ नाम की खुद की भीड़ नियंत्रण टीम तैनात की थी, जिससे प्रशासन की अनुपस्थिति उजागर हुई।

तिरुपति भगदड़ 2025

8 जनवरी 2025 की शाम, तिरुपति के प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन टोकन पाने के लिए जुटी भीड़ बेकाबू हो गई। वैकुंठद्वार सर्वदर्शन टोकन बांटे जा रहे थे और रात 8 बजे के आसपास विभिन्न केंद्रों पर अराजकता फैल गई। इस भगदड़ में छह लोगों की जान गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।

भीड़ प्रबंधन में बार-बार चूक

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इन सभी हादसों की जड़ में एक बात स्पष्ट रूप से नजर आती है – भीड़ प्रबंधन में घोर लापरवाही। विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी बड़े धार्मिक आयोजन में निम्नलिखित व्यवस्थाएं अनिवार्य होनी चाहिए

  • समुचित निकासी मार्ग और सर्कुलेशन प्लान
  • लाइव निगरानी सिस्टम और ड्रोन कैमरे
  • पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम (घोषणाओं के लिए)
  • प्रशिक्षित सुरक्षा बल और मेडिकल इमरजेंसी टीम
  • प्रवेश और निकास का डिजिटल कंट्रोल
  • भारत में भगदड़: आंकड़े बताते हैं गंभीर तस्वीर

2014 में आई एक स्टडी के अनुसार, भारत में हुई कुल भगदड़ों में से 79% धार्मिक आयोजनों के दौरान हुईं। हर बार प्रशासन “घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी” कहकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेता है। धार्मिक भावनाओं की आड़ में सुरक्षा नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं और कोई जवाबदेही तय नहीं होती।

इतिहास में दर्ज हैं कई बड़े हादसे

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  • 25 जनवरी 2005, सतारा (महाराष्ट्र): मंधार देवी मंदिर में 300 श्रद्धालुओं की मौत
  • 3 अगस्त 2008, नैना देवी (हिमाचल): भूस्खलन की अफवाह से भगदड़, 146 मौतें
  • 30 सितंबर 2008, जोधपुर: चामुंडा देवी मंदिर में बम की अफवाह, 250 मौतें
  • 14 जनवरी 2011, सबरीमाला (केरल): जीप की टक्कर के बाद भगदड़, 104 मौतें
  • 13 अक्टूबर 2013, दतिया (मध्य प्रदेश): रतनगढ़ मंदिर में भगदड़, 115 श्रद्धालुओं की मौत


दुनिया की सबसे बड़ी भगदड़: चीन, 1941

6 जून 1941 को चीन के चोंगकिंग शहर में जापानी बमबारी से बचने के लिए लोग हवाई हमले के आश्रयों की ओर दौड़े। इस भगदड़ में लगभग 4,000 लोगों की मौत हो गई।
यह इतिहास की अब तक की सबसे घातक भगदड़ मानी जाती है।

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