नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारतीय सेना में महिलाएं लगातार अपनी भूमिका का साबित करने में कामयाब हो रही हैं। फाइटर प्लेन उड़ाने से लेकर तमाम वे कम अब सेना में महिलाएं भी कर रही हैं, जिन पर कभी पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था। हाल में ही पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके में स्थिति आतंकी ठिकानों को तहस नहस करने के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' में
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की भूमिका पूरी दुनिया ने देखी। अब एक और महिला सैन्य अधिकारी चर्चाओं में हैं। भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी। वह राष्ट्रपति की पहली महिला एडीसी नियुक्त होने के कारण चर्चा में हैं। आईए आपको बताते हैं यशस्वी सोलंकी के बारे में।
हरियाणा की रहने वाली हैं यशस्वी सोलंकी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पहली महिला एडीसी बनने का गौरव हासिल करने वाली लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी मलिक मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। वह 2012 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भारतीय नौसेना की लॉजिस्टिक ब्रांच में शामिल हुई थीं। नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन के बल पर यशस्वी सोलंकी इस मुकाम पर पहुंची हैं।
क्या करते हैं एडीसी, कैसे होता है चुनाव
राष्ट्रपति आर्म्ड फोर्सेज की सुप्रीम कमांडर होते हैं। उनके पांच एडीसी होते हैं। राष्ट्रपति थल सेना से तीन और वायुसेना व नौसेना से एक- एक सैन्य अधिकारी का चुनाव अपने एडीसी के रूप में करते हैं। एडीसी का काम राष्ट्रपति प्रोटोकॉल का पालन कराने के साथ उनके समरोह, ऑपरेशन और कूटनीतिक मामलों में राष्ट्रपति की सहायता करना होता है। इस पद के लिए चुनिंदा अधिकारियों का ही चयन होता है। भारतीय सेना में हुए बदलाव के तहत अब एडीसी पद के लिए भी महिलाओं को अवसर दिया जाने लगा है। इस पद पर पहली बार तैनाती पाकर यशस्वी सोलंकी ने सामाजिक और पेशेवर के तौर पर महिलाओं के लिए बड़ी बानगी पेश की है।