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नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क।
MahaShivaratri : महाशिवरात्रि पर एक खास महासंयोग बन रहा है, जिसे अमृत स्नान के जैसा माना जा रहा है। 26 फरवरी को बुधादित्य और त्रिग्रही योग के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा जो वर्षों बाद हो रहा है। इस दिन ग्रहों की विशेष युतियां त्रिवेणी के तट पर स्नान करने वालों के लिए खास महत्त्वपूर्ण होंगी। इस अवसर पर श्रवण नक्षत्र, परिघ का योग और शुभ शिव योग के साथ महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा
सात साल बाद बुधवार को महाशिवरात्रि का अवसर आ रहा है और यह समय विशेष रूप से फलदायी माना जा रहा है। 26 फरवरी को सूर्य, बुध, और शनि कुंभ राशि में होंगे, जबकि चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा। इसके साथ ही शुक्र और राहु मीन राशि में, मिथुन राशि में मंगल और वृषभ राशि में बृहस्पति भी रहेंगे जो पर्व के महत्व को और बढ़ाते हैं।
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महाशिवरात्रि को फलदायी बना रहे हैं ग्रह
शास्त्रियों के अनुसार इस दिन ग्रहों का मिलन महाशिवरात्रि को अत्यधिक फलदायी बना रहा है। खासकर मेष राशि के जातकों के लिए यह समय खास होगा, जहां उन्हें उनके परिश्रम का फल मिलेगा। मिथुन और सिंह राशि के जातकों के लिए भी यह समय उन्नति के रास्ते खोलेगा।
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महाशिवरात्रि पर जागरण का है विशेष महत्व
शिव की पूजा से इच्छाशक्ति में मजबूती आती है और चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। इस कारण शिव की पूजा से मन की शक्ति भी मजबूत होती है। महाशिवरात्रि की रात में निशीथ काल की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार निशीथ काल पूजा के लिए 49 मिनट का मुहूर्त है जो 26 फरवरी की रात 12:27 बजे से 1:16 (27 फरवरी) तक रहेगा। पूजा के अन्य प्रहरों का समय इस प्रकार होगा।
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यह है पूजा का समय
पहले प्रहर की पूजा: 6:43 बजे से 9:47 बजे तक।- दूसरे प्रहर की पूजा: 9:47 बजे से 12:51 (27 फरवरी) तक।
- तीसरे प्रहर की पूजा: 12:51 बजे से 3:55 बजे तक।
- चौथे प्रहर की पूजा: 3:55 बजे से 6:59 बजे तक।
पारण का समय: 6:59 बजे से 8:54 बजे तक।
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